YOUN NAZRAIN CHURAANA HUM SE AAP KA BA KHUSHI OR BAARHAA
ZAALIM KABHI SOCHNA KITNA DUSHWAR KUN HAIN YEH MARHALA
یوں نظریں چرانا ہم سے آپ کا با خوشی اور بار ہا
ظالم کبھی سوچنا کتنا دشوار کن ہے یہ مرحلہ
खमियाज़ा ए ज़िन्दगी हर पल मिलता है,
कोई कुछ वक्त तो कोई ज़िन्दगी भर साथ चलता है...
मैं अपनी राहों पर अब अकेले निकाल आया हूं,
जो वक्त सबका था कुछ अपने लिए लाया हूं...
शीशे की कब्र में दफ्न जैसे कोई राज़ हूं,
बरसों से अनसुना जैसे कोई साज़ हूं...
ज़िन्दगी का हाथ थाम कर अब चलने की गुज़ारिश है,
सपनों से तर आगे समंदर और बारिश है...
इक दिन समंदर और बारिश भी पार कर जाऊंगा,
सबकी नज़रें होगी मुझपे और मैं ज़िन्दगी गुलज़ार कर जाऊंगा....
Mainu likhna tu sikha gya,
Jazbaat bhi chouli paagya,
Deke zakham mainu tu ishqaan de,
Bewafa da naam kmaa gya…!!