Kuj karn da jazba howe taa
Mushkil to mushkil halat vi sukhale ho jande Hun…
ਕੁੱਝ ਕਰਨ ਦਾ ਜਜ਼ਬਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ
ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਤੋਂ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹਾਲਾਤ ਵੀ ਸੁਖਾਲੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ..
Kuj karn da jazba howe taa
Mushkil to mushkil halat vi sukhale ho jande Hun…
ਕੁੱਝ ਕਰਨ ਦਾ ਜਜ਼ਬਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ
ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਤੋਂ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹਾਲਾਤ ਵੀ ਸੁਖਾਲੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ..
माथे पे तिलक लगाकर कूद पड़े थे अंग़ारो पे,
माटी की लाज के लिए उनके शीश थे तलवारों पे।
भगत सिंह की दहाड़ के मतवाले वो निर्भर नहीं थे किन्ही हथियारों पे,
अरे जब देशहित की बात आए तो कभी शक ना करो सरदारों पे॥
आज़ादी की थी ऐसी लालसा की चट्टानों से भी टकरा गये,
चंद आज़ादी के रणबाँकुरो के आगे लाखों अंग्रेज मुँह की खा गये।
विद्रोह की हुंकार से गोरों पे मानो मौत के बादल छा गये,
अरे ये वही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव है जिनकी बदौलत हम आज़ादी पा गये॥
आज़ादी मिली पर इंक़लाब की आग में अपने सब सुख-दुःख वो भूल गये,
जननी से बड़ी माँ धरती जिसकी ख़ातिर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु झूल गये॥
अब राह तक रही उस माँ को कौन जाके समझाएगा,
कैसे बोलेगा उसको की माँ अब तेरा लाल कभी नहीं आएगा।
बस इतना कहूँगा कि धन्य हो जाएगा वो आँचल जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु सा बेटा पाएगा,
क्योंकि इस माटी का हर कण और बच्चा-बच्चा उसे अपने दिल में बसाएगा॥
