ख़िज़ाँ का दौर हो या हो बहार का मौसम
मेरे लिए नहीं कोई क़रार का मौसम
किसे ख़बर थी बिछड़कर न मिल सकेंगे कभी
न ख़त्म होगा तेरे इन्तिज़ार का मौसम
ग़रज़ का दौर है सबको हैं अपनी अपनी धुन
किसी को रास न आया पुकार का मौसम
ढला है हुस्न तो मशहूर बेवफ़ाई हुई
गुज़र गया है तेरे इन्तिज़ार का मौसम
उड़ाए फिरती है आवारगी की आंधी हमें
हमें नसीब कहाँ ज़ुल्फ़-ए- यार का मौसम
बुझे हैं रेख़्ता हम तो बुझे नज़ारे हैं
उदास उदास लगा हुस्न -ए- यार का मौसम
Ham aakhiri saans tak yaar tere hai
Dil par sare ikhtiyar tere hai🥰
Tum aao to neend nahi aati
Neend aaye to sare khwab tere hai😍
हम आखरी सांस तक यार तेरे हैं
दिल पर सारे इख्तियार तेरे हैं🥰
तुम आओ तो नींद नहीं आती
नींद आये तो सारे ख़्वाब तेरे हैं😍