हम इस प्यार को प्यार से प्यार करते है
क्यों करते है इतनी मोहबत आपसे
क्यों यह गुन्हा हम हर बार करते है
Hum Is Pyar Ko Pyar Sey Pyar Karte Hai
Kyu Karte Hai Itni Mohabbat Apse
Kyu Yeh Gunha Hum Har Var Karte Hai
हम इस प्यार को प्यार से प्यार करते है
क्यों करते है इतनी मोहबत आपसे
क्यों यह गुन्हा हम हर बार करते है
Hum Is Pyar Ko Pyar Sey Pyar Karte Hai
Kyu Karte Hai Itni Mohabbat Apse
Kyu Yeh Gunha Hum Har Var Karte Hai
मान लिखूँ सम्मान लिखूँ मैं।
आशय और बखान लिखूं मैं।
जिस नारी पर दुनिया आश्रित,
उसका ही बलिदान लिखूँ मैं।।
जीवन ऐसी बहती धारा,
जिसका प्यासा स्वयं किनारा,
पत्थर पत्थर अश्क उकेरे,
अधरों पर मुस्कान लिखूँ मैं।
मान——
कोमल है कमज़ोर नहीं है,
नारी है यह डोर नहीं है,
मनमर्ज़ी इसके संग करले
इतना कब आसान लिखूँ मैं
मान—-
बेटा हो या बेटी प्यारी,
जन्म सभी को देती नारी,
इसका अन्तस् पुलकित कोमल
इसके भी अरमान लिखूँ मैं
मान—-
हिम्मत से तक़दीर बदल दे,
मुस्कानों में पीर बदल दे,
प्रेम आस विश्वास की मूरत,
शब्द शब्द गुणगान लिखूँ मैं
मान——