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Rabb mera e jado da russeya || ghaint Punjabi shayari

Life shayari || sad shayari || Dil duniya to esa shutteya
Fr Na khileya kidre vi..!!
Rabb mera e jado da russeya
Sukun na mileya kidre vi..!!
Dil duniya to esa shutteya
Fr Na khileya kidre vi..!!
Rabb mera e jado da russeya
Sukun na mileya kidre vi..!!

Title: Rabb mera e jado da russeya || ghaint Punjabi shayari

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Pyar sacha te paak pavitar || true love shayari || sacha pyar || romantic love

esi mrzi hove rabb di || love shayari || true love

Esi marji hove rabb di k hakk sada hi
tere vall jande raahan utte likheya Hove..!!
Rehna mein hi bas kol tere hakk hove Na kise hor da
Naam mera hi Teri bahan utte likheya Hove..!!
asi hona hi bas tere Tu sada asi tere
Esa rabbi rajawan utte likheya Hove..!!
Pyar sacha te Pak pvitarr hove sada injh
Ke Naam sajjna da hi sahaan utte likheya Hove..!!

ਐਸੀ ਮਰਜ਼ੀ ਹੋਵੇ ਰੱਬ ਦੀ ਕੇ ਹੱਕ ਸਾਡਾ ਹੀ
ਤੇਰੇ ਵੱਲ ਜਾਂਦੇ ਰਾਹਾਂ ਉੱਤੇ ਲਿਖਿਆ ਹੋਵੇ..!!
ਰਹਿਣਾ ਮੈਂ ਹੀ ਬਸ ਕੋਲ ਤੇਰੇ ਹੱਕ ਹੋਵੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਦਾ
ਨਾਮ ਮੇਰਾ ਹੀ ਤੇਰੀ ਬਾਹਾਂ ਉੱਤੇ ਲਿਖਿਆ ਹੋਵੇ..!!
ਅਸੀਂ ਹੋਣਾ ਹੀ ਬਸ ਤੇਰੇ ਤੂੰ ਸਾਡਾ ਅਸੀਂ ਤੇਰੇ
ਐਸਾ ਰੱਬੀ ਰਜਾਵਾਂ ਉੱਤੇ ਲਿਖਿਆ ਹੋਵੇ..!!
ਪਿਆਰ ਸੱਚਾ ਤੇ ਪਾਕ ਪਵਿੱਤਰ ਹੋਵੇ ਸਾਡਾ ਇੰਝ
ਕਿ ਨਾਮ ਸੱਜਣਾ ਦਾ ਹੀ ਸਾਹਾਂ ਉੱਤੇ ਲਿਖਿਆ ਹੋਵੇ..!!

Title: Pyar sacha te paak pavitar || true love shayari || sacha pyar || romantic love


Kaun thi woh || hindi poetry

ना जाने क्यूं हर रात याद वो, रात मुझे अब आती है..
सोने की कोशिश में होता हूं, एकदम बरसात जो जाती है..
ठंडी हवाओं से ठक-ठक करके, खिड़कियाँ भी खुल सी जाती हैं..
बंद करने को उठता हूं, बाहर बूंदें नजर आ जाती हैं..
दरवाजा खोल कर बाहर गया ही था के, अचानक बिजली चली जाती है..
होगया अंदर बाहर अंधेरा, सनसनी सी दौड़ फिर जाती है..
सोचा मौसम का लुत्फ़ उठालू, सर्दी भी बढ सी जाती है..
हाथों को मोडे, हाथों को रगड़ू, रोवाँ भी उठ सी जाती है..
सोच तभी बरसात में मेरी, उसी रात पर चली फिर जाती है..
भीगा हुआ सा भाग रहा था, हर बूंद ये याद दिलाती है..
कपड़े भी कम पहने थे उस दिन, सर्दी एहसास दिलाती है..
सड़क अँधेरी जहाँ कोई नहीं था, सोच के सोच डर जाती है..
पहुचू कैसे अब घर म जल्दी, हड़बड़ी याद आ जाती है..
फिसला भागते हुए अचानक, चीजें बिखर हाथ से जाती हैं..
ढूंढ़ना शुरू किया मैंने उठके, जो इधर-उधर हो जाती है..
चीज़ कौनसी कहां गिरी गई, अँधेरे में नज़र नहीं आती है..
ढूंढ ही रहा था तभी सामने, खड़ी नजर वो आती है..
क्यों हो इस सुनसान सड़क पर, कहां जाना है? पुछ वो जाती है..
गलती से गलत राह को है चुन लिया, हुआ बुरा कहे, दुख जाताती है..
मैं फ़िसल गया, सामान गिर गया, उस से नज़र मेरी हट जाती है..
मैं मदद करु कहकर वो मेरी, मदद में यूं लग जाती है..
जैसी जानती है, पहचानती है, बातें इस कदर बनाती है..
मुझे दिखा भी नहीं, उससे मिल गया सब, सामान वो मुझे थमाती है..
जा पाओगे या राह दिखाउ, उसकी ये बात ही दिल ले जाती है।
पुछा मैंने यहां क्यूं हो जानकर, जब गली सुनसान हो जाती है..
रहती हूँ यहाँ, मेरा घर है यहाँ, पता भी अपना बताती है..
चलो तुम्हें आगे तक छोड़ दूँ, मेरे साथ चलने लग जाती है..
कुछ अपनी बता, कुछ पुछकर मुझसे, मेरा हाल जानना चाहती है..
मुझे राह पर लाकर वो मेरी, इशारे से रास्ता दिखती है..
यहां से चले जाना तुम सीधे, कहकर पीछे मुड़ जाती है..
उसे रोक नाम मैंने पूछा था, बेख़ौफ़ वो मुझे बताती है..
मेरी मदद क्यूं कि जब ये पूछा, मेरी तरफ घूम वो जाती है..
उसे देखने में भीगी पलकें, कई बार झपक मेरी जाती हैं..
तभी सड़क से गुजरी कार की रोशनी, मुझे चेहरा उसका दिखती है..
ना देखा पहले कभी कोई ऐसा, इतनी सुंदर मुझे भी भाती है..
अप्सरा उतरी जैसी स्वर्ग से कोई, वो छवि ना दिल से जाती है..
धड़कन जैसे उसे देख रुक गई, रूह उसे पाना चाहती है..
मेरी जुबां पे जैसा लग गया ताला, कुछ भी बोल नहीं पति है..
उसके तन पर गिरी हर एक बूंद, मोती की याद दिलाती है..
उसकी भीगी जुल्फें तो और भी, मनमोहक उसे बनाती हैं..
उसने कहा ये के ना चाह कर भी, उसे मदद करनी पड़ जाती है..
उसके दिल ने आवाज दी थी, तभी मदद को मेरी आती है..
कुछ और कहु हमसे पहले, मेरी बात काट वो जाती है..
मुझसे अब और तुम कुछ ना पूछना, मेरी राह कहीं और जाती है..
मुमकिन है नहीं ये सोच तुम्हारी, उसे कैसे पता चल जाती है..
मुझे छू कर मेरी आँखों से, ओझल वो कहीं हो जाती है..
मैं नाम पुकारता रह गया बस, ना सामने फिर वो आती है..
ना जाने सोच में कौन थी वो, घर तक की राह कट जाती है..
उस रात के बाद, हर रात मुझे, हर रात याद वो आती है..
किसी को बता नहीं पाया अबतक, मेरी जुबां जरा कतराती है..

Title: Kaun thi woh || hindi poetry