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Minal Rajiv

खुद से जंग

हर जंग ज़िंदगी की हमने खुद को मिटाकर लड़ी है,
हर बार हार को हँस कर गले लगाया है,
कभी परायों ने ज़ख़्म दिए, कभी अपनों ने रुलाया है,
क्या बताएँ आपको — हमने इस सफर में खुद को कितना खोया है।

Naya Din

हर दिन वही सूरज निकलता है,
हर रात वही चाँद भी चमकता है,
आसमान भी वही है और इंसान भी।
तो फिर हर दिन नया सा क्यों लगता है…
नई उम्मीद से जीने का हौसला कहाँ से मिलता है…
ये ख़ुदा, तेरी कुदरत का क्या कहें…
इंसान जितना भी पुराना हो,
ज़िंदगी का हर दिन एक नया सफ़र बन जाता है।