Jungle human poetry || वन्य जीव और संरक्षण
वन्य जीवों का पता लगाओ ,
सब मिलकर राष्ट्रीय “पशु ” बाघ बचाओ ।
जंगलो को कटने से बचायें ,
जंगल जा -जाकर बाघों का पता लगायें ।
अब पूरे भारत में चौदह सौ ग्यारह बाघ बचे हैं ,
उनमें से आधे तो अभी बच्चे हैं ।
उन्हें बचाने के खातिर जंगल न काटें ,
जगह -जगह पेड़ लगाने के लिए लोगों को बाटें ।
राष्ट्रीय पशु “बाघ” हम सब को बचना है ,
जंगलों को हरा-भरा और बनाना है । रहता वन में और हमारे,
संग-साथ भी रहता है ।
यह गजराज तस्करों के,
ज़ालिम-ज़ुल्मों को सहता है ।।
समझदार है, सीधा भी है,
काम हमारे आता है ।
सरकस के कोड़े खाकर,
नूतन करतब दिखलाता है ।।
मूक प्राणियों पर हमको तो,
तरस बहुत ही आता है ।
इनकी देख दुर्दशा अपना,
सीना फटता जाता है ।।
वन्य जीव जितने भी हैं,
सबका अस्तित्व बचाना है,
जंगल के जीवों के ऊपर,
दया हमें दिखलाना है ।
वृक्ष अमूल्य धरोहर हैं,
इनकी रक्षा करना होगा ।
जीवन जीने की खातिर,
वन को जीवित रखना होगा ।।
तनिक-क्षणिक लालच को,
अपने मन से दूर भगाना है ।
धरती का सौन्दर्य धरा पर,
हमको वापिस लाना है ।।