Skip to content

Poetry

Punjabi kavita, very sad punjabi poetry, love punjabi poetry, dard punjabi poetry, dard bhari punjabi poetry in gumukhi, sad punjabi poetry in punjabi font, punjabi kavitawaan, shiv kumar batalvi poetry sad

Mehak kol mehak aye 🫂

Tu kinni haseeen hai tu mere toh push,

Tu kinni khoobsurat hai mere Dil toh push,

Mai zindagi da ekk hissa bneya uss hisseh di mallkn tu bann na mere toh push,

Tu yaakeen ta mnn tere Bina Meri hallat kidda ekk baar mere toh Mera haal tah push,

Mai hnnereya deh vich rehn wala iss zindagi nu chaar Chann laye tu ehh kidda laye tu mere toh push,

Thorda jehha time kadd leh per mere Dil da te Mera ekk baar haal ta push❤️‍🩹💔

Mehak kol mehak ayye mere Dil vich ronak laye,

Ooh ronak kidda Laye ooh be tu mere toh

push,

Her velle Sukh chavva Tera

Her velle sukh chavva tera ,Iss dil vich thain hai tera ,Aa jism ley k jadd be turra

Naal turrey parshawan tera ,Tere her giley shikvey kabool aa menu,Mere dittey pyaar Dey tofffey kaabool a tenu ,Lokka dey samney ta nai show krr da ,Mgr bahuut he zayada pyar a tere te menu

Shayad ajh me tera hunda || punjabi shayari

Shayad aaj mai tera hunda j krr rolla jaat paat da ni hunda

Shayad aaj mai tera hunda agr tera relation kisse horra naal na hunda

Shayad aaj teri zindagi vich ik ronn na hunda

Agr oddi tha mai hund

a

Bappu di kamaayi Jana paise ch udaayi

Ik gana jddo apa apne mappeya di khaas krr k apne bappu dii kmaayi te Ash krr de aw, jerda sadde toh sadda friend down hunda aur jddo appa onnu kehne ki aw dekh mai apne bappu di kamaayi te Ash krr reya, mai thaar leli, jaguar leli Mustang leli Ford leya, te odda dost bahuut seyyana hunda aw ooh onnu ki salaah dinda ki kehnda sunneyo

Kehnnda soneya hawwa deh vich uddayi jana bulle aakh da lokka nu mere khate bahuut khule, soneya hawwa deh vich uddayi jana bulle aakh da lokka nu mere khate bahuut khule, aw mukk jaane note firr honi ni support roh roh pashtvey ga ta firr ptaa lgguu,

Bappu dii kmaayi jana Aisha ch udaaayi hathi apne kmaye ga ta firr ptaa lggu,

Jddo tenu ohna schooley prdn tennu payya houu appey soch onney ki ki supna sjaya hou, aw kreh barbaad samah dostain deh vich, bche apne prdaveh ga ta firr ptaa lggu,

Bappu dii kmaayi jana brainda ch udaaayi hathi apne kmaye ga ta firr ptaa lggu,

Ooh shikhar duppehr jddo sirr khrd jaouu gi chitti jerdi chmrdi aw kaali ho jaaou gi, tere paaney hundi aw kmaayi sokhi krni shaalley hatha vich pooaaavey ga taa firr ptaa

lggu

Tero narazgi kubul hai || sad dard shayari

teri narazgi kubul hai

tere nakhre kubul hai

kubul hai hr shart teri

tera hr libas kubul hai

kya kubul nhi tumhe 

agr tum mujhse puchoge

kubul nhi teri aakho me aasu koi 

kubul nhi dil me doosra nam koi

kubul nhi tere siva mera koi mehboob ho

kubul nhi mere siva kisi me tu masroof ho

baki sb kuch kubul hai

dil tera kubul hai

jaan meri kubul hai

jeena tera kubul hai

marna mera kubul hai.

Chl theek hai

Chl theek hai beh tu mai chl da Teri udeek kiti he chl beh tu mai chl tere toh umeed kiti c chl beh tu mai chl da tere naal rehn di udeek kiti c

Kaun thi woh || hindi poetry

ना जाने क्यूं हर रात याद वो, रात मुझे अब आती है..
सोने की कोशिश में होता हूं, एकदम बरसात जो जाती है..
ठंडी हवाओं से ठक-ठक करके, खिड़कियाँ भी खुल सी जाती हैं..
बंद करने को उठता हूं, बाहर बूंदें नजर आ जाती हैं..
दरवाजा खोल कर बाहर गया ही था के, अचानक बिजली चली जाती है..
होगया अंदर बाहर अंधेरा, सनसनी सी दौड़ फिर जाती है..
सोचा मौसम का लुत्फ़ उठालू, सर्दी भी बढ सी जाती है..
हाथों को मोडे, हाथों को रगड़ू, रोवाँ भी उठ सी जाती है..
सोच तभी बरसात में मेरी, उसी रात पर चली फिर जाती है..
भीगा हुआ सा भाग रहा था, हर बूंद ये याद दिलाती है..
कपड़े भी कम पहने थे उस दिन, सर्दी एहसास दिलाती है..
सड़क अँधेरी जहाँ कोई नहीं था, सोच के सोच डर जाती है..
पहुचू कैसे अब घर म जल्दी, हड़बड़ी याद आ जाती है..
फिसला भागते हुए अचानक, चीजें बिखर हाथ से जाती हैं..
ढूंढ़ना शुरू किया मैंने उठके, जो इधर-उधर हो जाती है..
चीज़ कौनसी कहां गिरी गई, अँधेरे में नज़र नहीं आती है..
ढूंढ ही रहा था तभी सामने, खड़ी नजर वो आती है..
क्यों हो इस सुनसान सड़क पर, कहां जाना है? पुछ वो जाती है..
गलती से गलत राह को है चुन लिया, हुआ बुरा कहे, दुख जाताती है..
मैं फ़िसल गया, सामान गिर गया, उस से नज़र मेरी हट जाती है..
मैं मदद करु कहकर वो मेरी, मदद में यूं लग जाती है..
जैसी जानती है, पहचानती है, बातें इस कदर बनाती है..
मुझे दिखा भी नहीं, उससे मिल गया सब, सामान वो मुझे थमाती है..
जा पाओगे या राह दिखाउ, उसकी ये बात ही दिल ले जाती है।
पुछा मैंने यहां क्यूं हो जानकर, जब गली सुनसान हो जाती है..
रहती हूँ यहाँ, मेरा घर है यहाँ, पता भी अपना बताती है..
चलो तुम्हें आगे तक छोड़ दूँ, मेरे साथ चलने लग जाती है..
कुछ अपनी बता, कुछ पुछकर मुझसे, मेरा हाल जानना चाहती है..
मुझे राह पर लाकर वो मेरी, इशारे से रास्ता दिखती है..
यहां से चले जाना तुम सीधे, कहकर पीछे मुड़ जाती है..
उसे रोक नाम मैंने पूछा था, बेख़ौफ़ वो मुझे बताती है..
मेरी मदद क्यूं कि जब ये पूछा, मेरी तरफ घूम वो जाती है..
उसे देखने में भीगी पलकें, कई बार झपक मेरी जाती हैं..
तभी सड़क से गुजरी कार की रोशनी, मुझे चेहरा उसका दिखती है..
ना देखा पहले कभी कोई ऐसा, इतनी सुंदर मुझे भी भाती है..
अप्सरा उतरी जैसी स्वर्ग से कोई, वो छवि ना दिल से जाती है..
धड़कन जैसे उसे देख रुक गई, रूह उसे पाना चाहती है..
मेरी जुबां पे जैसा लग गया ताला, कुछ भी बोल नहीं पति है..
उसके तन पर गिरी हर एक बूंद, मोती की याद दिलाती है..
उसकी भीगी जुल्फें तो और भी, मनमोहक उसे बनाती हैं..
उसने कहा ये के ना चाह कर भी, उसे मदद करनी पड़ जाती है..
उसके दिल ने आवाज दी थी, तभी मदद को मेरी आती है..
कुछ और कहु हमसे पहले, मेरी बात काट वो जाती है..
मुझसे अब और तुम कुछ ना पूछना, मेरी राह कहीं और जाती है..
मुमकिन है नहीं ये सोच तुम्हारी, उसे कैसे पता चल जाती है..
मुझे छू कर मेरी आँखों से, ओझल वो कहीं हो जाती है..
मैं नाम पुकारता रह गया बस, ना सामने फिर वो आती है..
ना जाने सोच में कौन थी वो, घर तक की राह कट जाती है..
उस रात के बाद, हर रात मुझे, हर रात याद वो आती है..
किसी को बता नहीं पाया अबतक, मेरी जुबां जरा कतराती है..

Khawaab jo dekhe the kal || hindi shayari

जिन रास्तों पे सुरु ये सफर हुआ था,
आज उन्हीपे वापिस लौट रहा हूँ।

ख्वाब जो देखे थे कल,
आज उन्हें पाके लौट रहा हूँ।

कामयाबियों के राह पे जो छुटा था,
उन्हें आज समेट ते हुए लौट रहा हूँ।