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Poetry

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Jeevan me weh tha || जो बीत गई

जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो
मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
 कब मधुवन शोर मचाता है;
जो बीत गई सो बात गई!

जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था,
वह टूट गया तो टूट गया;
मदिरालय का आँगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो गिरते हैं कब उठते हैं;
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है!
जो बीत गई सो बात गई!     

मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,
मधुघट फूटा ही करते हैं,
लघु जीवन लेकर आए हैं,
प्याले टूटा ही करते हैं,
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं,
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं;
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट-प्यालों पर,
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है, चिल्लाता है!
जो बीत गई सो बात गई!

 

Bengali poetry || Teachers Day

শিক্ষকের দিনে শ্রদ্ধা জানাই, উন্নতির পথে আমাদের পাঠানো আপাত। শিক্ষণের আলোর দ্বারে আমরা হাত ধরে, সহজে প্রবেশ করি জ্ঞানের সত্যের পাতা।

শিক্ষক, তুমি সে আলোর চাঁদ, যা আমাদের জীবনে ফুলতে দেয় সব প্রকারের জ্ঞান। তোমার আগ্রহ ও দিক্ষা বিশেষ, শিক্ষার পথে আমাদের নয়ন করে নতুন আলোর খাঁজ।

শিক্ষক, তুমি শিক্ষার দূত, পরমেশ্বরের দিকে আমাদের নেয় স্বপ্নের বুক। তোমার উপদেশে আমরা চলে যাই, জীবনে দিন গুনে সব পথে সম্প্রসারণের স্বপ্ন আলোকিত রাখি।

শিক্ষকের দিনে এই শ্রদ্ধাঞ্জলি, তোমাদের সম্মানে উঠল আমার স্বরণ কমল। আমরা সদাই স্মরণ করব তোমাদের বিশেষ, শিক্ষকের মহিমা, তোমার কাছে আমরা নেই সীমিত।

শিক্ষকের দিনে শ্রদ্ধা জানাই, শিক্ষকদের প্রতি আমাদের বেশী ভালোবাসা ও আদর। তোমাদের কাছে আমরা নেই কিছুই চাই, শুধু আমাদের ধন্যতা ও শ্রদ্ধা তোমাদের সঙ্গে আমরা শেয়ার করি পুরো সদ্যক্ষণে।

শিক্ষক, তুমি আমাদের জীবনের আলো, তোমাদের শৃঙ্গে আমরা উপাসনা করি সব সময়। শিক্ষকের দিনে এই শ্রদ্ধাঞ্জলি, শিক্ষকদের জন্য প্রেম ও শ্রদ্ধা প্রকাশ করি আমরা এই কবিতা বানাইয়েছি পূর্ণ শ্রদ্ধাঞ্জলি।

Khud se khud hi hai || Sad life

Najane khudse khud hi q Hai khafa

Jeene Ki umeede chod di kitni dafa

Apne sb ho rhe yaha bewafa

Maut se v yeh guzarish Ah jaa tu ek dafa

Raate kitne kaat te khayalaato me

Dekhte bin  soye  sapne hum kitne

Chot itne she Hai ab tak Ki she Ni honge kisi ne v utne

Har gum ko dabalete U Ki koi gum hi Ni

Zinda toh h fir v lgta khud me zinda toh hum v ni

Hai yeh Jahan or Apne saare

Fir v hum toh U baithe haare  haare

Bdi khubsurat h Teri Kripa

Uparwale waah re

Jungle human poetry || वन्य जीव और संरक्षण

वन्य जीवों का पता लगाओ ,
सब मिलकर राष्ट्रीय “पशु ” बाघ बचाओ ।
जंगलो को कटने से बचायें ,
जंगल जा -जाकर बाघों का पता लगायें ।
अब पूरे भारत में चौदह सौ ग्यारह बाघ बचे हैं ,
उनमें से आधे तो अभी बच्चे हैं ।
उन्हें बचाने के खातिर जंगल न काटें ,
जगह -जगह पेड़ लगाने के लिए लोगों को बाटें ।
राष्ट्रीय पशु “बाघ” हम सब को बचना है ,
जंगलों को हरा-भरा और बनाना है ।                        रहता वन में और हमारे,
संग-साथ भी रहता है ।
यह गजराज तस्करों के,
ज़ालिम-ज़ुल्मों को सहता है ।।

समझदार है, सीधा भी है,
काम हमारे आता है ।
सरकस के कोड़े खाकर,
नूतन करतब दिखलाता है ।।

मूक प्राणियों पर हमको तो,
तरस बहुत ही आता है ।
इनकी देख दुर्दशा अपना,
सीना फटता जाता है ।।

वन्य जीव जितने भी हैं,
सबका अस्तित्व बचाना है,
जंगल के जीवों के ऊपर,
दया हमें दिखलाना है ।

वृक्ष अमूल्य धरोहर हैं,
इनकी रक्षा करना होगा ।
जीवन जीने की खातिर,
वन को जीवित रखना होगा ।।

तनिक-क्षणिक लालच को,
अपने मन से दूर भगाना है ।
धरती का सौन्दर्य धरा पर,
हमको वापिस लाना है ।।

Jungle human || वन्य जीव संरक्षण पर कविता

मूक प्राणियों पर हमको तो,

तरस बहुत ही आता है।

इनकी देख दुर्दशा अपना,

सीना फटता जाता है।।

वन्य जीव जितने भी हैं,

सबका अस्तित्व बचाना है,

जंगल के जीवों के ऊपर,

दया हमें दिखलाना है।

वृक्ष अमूल्य धरोहर हैं,

इनकी रक्षा करना होगा।

जीवन जीने की खातिर,

वन को जीवित रखना होगा।

तनिक-क्षणिक लालच को,

अपने मन से दूर भगाना है।

धरती का सौन्दर्य धरा पर,

हमको वापिस लाना है।।

चंद्रयान-3 के बारे में शायरी || india ISRO SHAYRI

चंद्रयान-3 का सफर फिर से आरंभ हुआ, चांद की ओर हमारा प्यार फिर से बढ़ा।

जवानी बिताई चंद्रयान-2 में, अब नए सपनों के साथ हम आएंगे।

चांद पर तिरंगा लहराएँगे हम गर्व से, सितारों की ओर हम फिर से निकलेंगे।

इस नए यात्रा में हमारी मंजिल हो चांद, चंद्रयान-3 के संग हम सभी लहराएंगे झंड।

अपने तय करे हम नये इतिहास की प्रारंभ, चंद की खोज में हम सभी हैं महिमा के सभी रूप।

चंद्रयान-3 हमारी शान है, गर्व है हमें, इस यात्रा में हम सभी बढ़ेंगे और जीतेंगे।

ऊँट की गर्दन || akbar story

अकबर बीरबल की हाज़िर जवाबी के बडे कायल थे। एक दिन दरबार में खुश होकर उन्होंने बीरबल को कुछ पुरस्कार देने की घोषणा की। लेकिन बहुत दिन गुजरने के बाद भी बीरबल को पुरस्कार की प्राप्त नहीं हुई। बीरबल बडी ही उलझन में थे कि महाराज को याद दिलायें तो कैसे?

एक दिन महारजा अकबर यमुना नदी के किनारे शाम की सैर पर निकले। बीरबल उनके साथ था। अकबर ने वहाँ एक ऊँट को घुमते देखा। अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल बताओ, ऊँट की गर्दन मुडी क्यों होती है”?

बीरबल ने सोचा महाराज को उनका वादा याद दिलाने का यह सही समय है। उन्होंने जवाब दिया – “महाराज यह ऊँट किसी से वादा करके भूल गया है, जिसके कारण ऊँट की गर्दन मुड गयी है। महाराज, कहते हैं कि जो भी अपना वादा भूल जाता है तो भगवान उनकी गर्दन ऊँट की तरह मोड देता है। यह एक तरह की सजा है।”

तभी अकबर को ध्यान आता है कि वो भी तो बीरबल से किया अपना एक वादा भूल गये हैं। उन्होंने बीरबल से जल्दी से महल में चलने के लिये कहा। और महल में पहुँचते ही सबसे पहले बीरबल को पुरस्कार की धनराशी उसे सौंप दी, और बोले मेरी गर्दन तो ऊँट की तरह नहीं मुडेगी बीरबल। और यह कहकर अकबर अपनी हँसी नहीं रोक पाए।

और इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से बिना माँगे अपना पुरस्कार राजा से प्राप्त किया।

ईश्वर अच्छा ही करता है || akbar story

बीरबल एक ईमानदार तथा धर्म-प्रिय व्यक्ति था। वह प्रतिदिन ईश्वर की आराधना बिना-नागा किया करता था। इससे उसे नैतिक व मानसिक बल प्राप्त होता था। वह अक्सर कहा करता था कि “ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है, कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर हम पर कृपादृष्टि नहीं रखता, लेकिन ऐसा होता नहीं। कभी-कभी तो उसके वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं। वह हमको थोड़ी पीड़ा इसलिए देता है ताकि बड़ी पीड़ा से बच सकें।”

एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं। एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला, ‘‘देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया। कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है ?’’

कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल, ‘‘मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।’’

सुनकर वह दरबारी नाराज हो गया कि मेरी तो उंगली कट गई और बीरबल को इसमें भी अच्छाई नजर आ रही है। मेरी पीड़ा तो जैसे कुछ भी नहीं। कुछ अन्य दरबारियों ने भी उसके सुर में सुर मिलाया।

तभी बीच में हस्तक्षेप करते हुए बादशाह अकबर बोले, ‘‘बीरबल हम भी अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, लेकिन यहां तुम्हारी बात से सहमत नहीं। इस दरबारी के मामले में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देती जिसके लिए उसकी तारीफ की जाए।’’

बीरबल मुस्कराता हुआ बोला, ’’ठीक है जहांपनाह, समय ही बताएगा अब।’’

तीन महीने बीत चुके थे। वह दरबारी, जिसकी उंगली कट गई थी, घने जंगल में शिकार खेलने निकला हुआ था। एक हिरन का पीछा करते वह भटककर आदिवासियों के हाथों में जा पड़ा। वे आदिवासी अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि में विश्वास रखते थे। अतः वे उस दरबारी को पकड़कर मंदिर में ले गए, बलि चढ़ाने के लिए। लेकिन जब पुजारी ने उसके शरीर का निरीक्षण किया तो हाथ की एक उंगली कम पाई।

‘‘नहीं, इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती।’’ मंदिर का पुजारी बोला, ‘‘यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि चढ़ा दिया गया तो हमारे देवता बजाय प्रसन्न होने के क्रोधित हो जाएंगे, अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं। हमें महामारियों, बाढ़ या सूखे का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। इसलिए इसे छोड़ देना ही ठीक होगा।’’

और उस दरबारी को मुक्त कर दिया गया।

अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा।

तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।

‘‘तुम्हें क्या हुआ, रो क्यों रहे हो ?’’ अकबर ने सवाल किया।

जवाब में उस दरबारी ने अपनी आपबीती विस्तार से कह सुनाई। वह बोला, ‘‘अब मुझे विश्वास हो गया है कि ईश्वर जो कुछ भी करता है, मनुष्य के भले के लिए ही करता है। यदि मेरी उंगली न कटी होती तो निश्चित ही आदिवासी मेरी बलि चढ़ा देते। इसीलिए मैं रो रहा हूं, लेकिन ये आंसू खुशी के हैं। मैं खुश हूं क्योंकि मैं जिन्दा हूं। बीरबल के ईश्वर पर विश्वास को संदेह की दृष्टि से देखना मेरी भूल थी।’’

अकबर ने मंद-मंद मुस्कराते हुए दरबारियों की ओर देखा, जो सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। अकबर को गर्व महसूस हो रहा था कि बीरबल जैसा बुद्धिमान उसके दरबारियों में से एक है।