बुझी हुई समा भी जल सकती है
तूफानों से कश्ती भी निकल सकती है
होके मायूस यू ना अपने इरादे बदल
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है
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बुझी हुई समा भी जल सकती है
तूफानों से कश्ती भी निकल सकती है
होके मायूस यू ना अपने इरादे बदल
तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है
क्या इतना ही जरूरी है इश्क जताना
हर बात पे रूठे हुओ को मनाना
कुछ बाते अनकही भी कहे है
जरूरी नहीं होता है बात पे सर झुकाना
Samandar ke beech le jakar fareb karne ki zaroorat kya thi..
Tum kehte to kinare par hi doob jate hum 🙃….!!
समंदर के बीच ले जाकर फ़रेब करने की जरूरत क्या थी..
तुम कहते तो किनारे पर ही डूब जाते हम🙃….!!