
aankho me kaali shaam hai
khoobsurat hai tu jannat c
chand taare to yuhi badnaam hai
mere paas shabad nahi hai
likhne ko tujhme kuch aisi baat hai
waise to mai tujhe jaanta nahi
par tujhme apna sa ehsaas hai
बादशाह अकबर की यह आदत थी कि वह अपने दरबारियों से तरह-तरह के प्रश्न किया करते थे। एक दिन बादशाह ने दरबारियों से प्रश्न किया, “अगर सबकी दाढी में आग लग जाए, जिसमें मैं भी शामिल हूं तो पहले आप किसकी दाढी की आग बुझायेंगे?”
“हुजूर की दाढी की” सभी सभासद एक साथ बोल पड़े।
मगर बीरबल ने कहा – “हुजूर, सबसे पहले मैं अपनी दाढी की आग बुझाऊंगा, फिर किसी और की दाढी की ओर देखूंगा।”
बीरबल के उत्तर से बादशाह बहुत खुश हुए और बोले- “मुझे खुश करने के उद्देश्य से आप सब लोग झूठ बोल रहे थे। सच बात तो यह है कि हर आदमी पहले अपने बारे में सोचता है।”
Tera chehra nazar aawe jad nihara chann taare..!!
Har sheh ch tu e.. tu hi e vich jag sare..!!
Khayal rehnda tera ang sang mere injh
Yaad aawe teri dekha jado kudrat de nazare..!!
ਤੇਰਾ ਚਿਹਰਾ ਨਜ਼ਰ ਆਵੇ ਜਦ ਨਿਹਾਰਾਂ ਚੰਨ ਤਾਰੇ..!!
ਹਰ ਸ਼ਹਿ ‘ਚ ਤੂੰ ਏ ਤੂੰ ਹੀ ਵਿੱਚ ਜੱਗ ਸਾਰੇ..!!
ਖਿਆਲ ਰਹਿੰਦਾ ਤੇਰਾ ਅੰਗ ਸੰਗ ਮੇਰੇ ਇੰਝ
ਯਾਦ ਆਵੇ ਤੇਰੀ ਦੇਖਾਂ ਜਦੋਂ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਨਜ਼ਾਰੇ..!!