TU AAJ BHI MERI HAI
MERE IN KAHYALO ME
ME AAJ BHI DOOBA REHTA HU
TERE IN KHAYALO ME
WO KHUSBOO SUNGNE KO TARASTA HU
JO HAI TERE IN BAAALO ME
FAMILY PLANNING KR CHUKA HU
AANE WAALE KUCH SAALO ME
TU AAJ BHI MERI HAI
MERE IN KHAYALO ME
TU AAJ BHI MERI HAI
MERE IN KAHYALO ME
ME AAJ BHI DOOBA REHTA HU
TERE IN KHAYALO ME
WO KHUSBOO SUNGNE KO TARASTA HU
JO HAI TERE IN BAAALO ME
FAMILY PLANNING KR CHUKA HU
AANE WAALE KUCH SAALO ME
TU AAJ BHI MERI HAI
MERE IN KHAYALO ME
अकबर बीरबल की हाज़िर जवाबी के बडे कायल थे। एक दिन दरबार में खुश होकर उन्होंने बीरबल को कुछ पुरस्कार देने की घोषणा की। लेकिन बहुत दिन गुजरने के बाद भी बीरबल को पुरस्कार की प्राप्त नहीं हुई। बीरबल बडी ही उलझन में थे कि महाराज को याद दिलायें तो कैसे?
एक दिन महारजा अकबर यमुना नदी के किनारे शाम की सैर पर निकले। बीरबल उनके साथ था। अकबर ने वहाँ एक ऊँट को घुमते देखा। अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल बताओ, ऊँट की गर्दन मुडी क्यों होती है”?
बीरबल ने सोचा महाराज को उनका वादा याद दिलाने का यह सही समय है। उन्होंने जवाब दिया – “महाराज यह ऊँट किसी से वादा करके भूल गया है, जिसके कारण ऊँट की गर्दन मुड गयी है। महाराज, कहते हैं कि जो भी अपना वादा भूल जाता है तो भगवान उनकी गर्दन ऊँट की तरह मोड देता है। यह एक तरह की सजा है।”
तभी अकबर को ध्यान आता है कि वो भी तो बीरबल से किया अपना एक वादा भूल गये हैं। उन्होंने बीरबल से जल्दी से महल में चलने के लिये कहा। और महल में पहुँचते ही सबसे पहले बीरबल को पुरस्कार की धनराशी उसे सौंप दी, और बोले मेरी गर्दन तो ऊँट की तरह नहीं मुडेगी बीरबल। और यह कहकर अकबर अपनी हँसी नहीं रोक पाए।
और इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से बिना माँगे अपना पुरस्कार राजा से प्राप्त किया।
आज दीदार ना हुआ उनका एक बार भी, नाराज से लगते हैं..
सुनाई देती है जैसे ही दस्तक कोई, बार- बार दरवाजे पे भगते हैं..
हर बार कोई और होता है, ख्वाब टूट जाता है, नींद से जगते हैं..
अरे कोई तो खबर करदो उन्हें, इंतजार में हैं, वो अपने से लगते हैं..❤️