umeed nahi si k tu chhad jaeyga
lokaa pichhe dil cho kadh jawega
ਉਮੀਦ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਿ ਤੂੰ ਵੀ ਛੱਡ ਜਾਏਗਾ
ਲੋਕਾਂ ਪਿੱਛੇ ਦਿਲ ਚੋਂ ਕੱਢ ਜਾਏਂਗਾ
umeed nahi si k tu chhad jaeyga
lokaa pichhe dil cho kadh jawega
ਉਮੀਦ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਿ ਤੂੰ ਵੀ ਛੱਡ ਜਾਏਗਾ
ਲੋਕਾਂ ਪਿੱਛੇ ਦਿਲ ਚੋਂ ਕੱਢ ਜਾਏਂਗਾ
लिखता मैं किसान के लिए
मैं लिखता इंसान के लिए
नहीं लिखता धनवान के लिए
नहीं लिखता मैं भगवान के लिए
लिखता खेत खलियान के लिए
लिखता मैं किसान के लिए
नहीं लिखता उद्योगों के लिए
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए
लिखता हूँ सड़कों के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई
नहीं उम्मीद इसकी मुझे
खेत खलियान में बीज ये बो दे
सड़क का एक गढ्ढा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिए
लिखता हूँ किसान के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
आशा नहीं मुझे जगत पढ़े
पर जगत का एक पथिक पढ़े
फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए
पिछड़े भारत से ज़्यादा
भूखे भारत से डरता हूँ
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ
फिर किसान पर लिखता हूँ
क्योंकि
लिखता मैं किसान के लिए
लिखता मै इंसान के लिए
तरुण चौधरी