हदें शहर से निकली तो गांव गांव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली
सफर में धूप का हुआ तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छांव-छांव चली
Well done is better than well said
हदें शहर से निकली तो गांव गांव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली
सफर में धूप का हुआ तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छांव-छांव चली
You are magic. Don’t ever apologize for the fire in you.💥
किसी मीठी सी हवा ने जैसे, मेरे मन को छुआ है..
क्या कोई बीमार है ये? या किसी खास की दुआ है..
दिल बेचैन आजकल ना जाने किन ख्यालों में रहता है..?
समझ नहीं आ रहा आख़िर के, मेरे दिल को क्या हुआ है..?