हदें शहर से निकली तो गांव गांव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली
सफर में धूप का हुआ तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छांव-छांव चली
Enjoy Every Movement of life!
हदें शहर से निकली तो गांव गांव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली
सफर में धूप का हुआ तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छांव-छांव चली
Mein akhan band kar takkna chaheya
Roshni hoyi taan dikheya Nanak..!!
Mein suas suas ohnu yaad kra
Mere sahaan utte likheya nanak..!!
ਮੈਂ ਅੱਖਾਂ ਬੰਦ ਕਰ ਤੱਕਣਾ ਚਾਹਿਆ
ਰੌਸ਼ਨੀ ਹੋਈ ਤਾਂ ਦਿਖਿਆ ਨਾਨਕ..!!
ਮੈਂ ਸੁਆਸ ਸੁਆਸ ਉਹਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰਾਂ
ਮੇਰੇ ਸਾਹਾਂ ਉੱਤੇ ਲਿਖਿਆ ਨਾਨਕ..!!
ज़िन्दगी सबके लिए बही है
फ़र्क सिर्फ़ इतना है
कोई दिल से जीता है
और कोई दिल रखने के लिए जी रहा है