हदें शहर से निकली तो गांव गांव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली
सफर में धूप का हुआ तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छांव-छांव चली
हदें शहर से निकली तो गांव गांव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली
सफर में धूप का हुआ तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छांव-छांव चली
Gya maadha time
Hun mudhke ni aun dinde
khuliyaan akhaan na dekhe supne
ni saun dinde
ਗਿਆ ਮਾੜਾ ਟਾਇਮ
ਹੁਣ ਮੁੜਕੇ ਨੀ ਆਉਣ ਦਿੰਦੇ
ਖੁਲੀਆਂ ਅੱਖਾ ਨਾ ਦੇਖੇ ਸੁਪਨੇ
ਨੀ ਸੋਣ ਦਿੰਦੇ 👈👈