ये रिश्तों के सिलसिले
इतने अजीब क्यों हैं,
जो हिस्से नसीब में नहीं
वो दिल के करीब क्यों हैं,
ना जाने कैसे लोगों को
मिल जाती है उनकी चाहत,
आख़िर किस से पूछे
हम इतने बदनसीब क्यों हैं।
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ये रिश्तों के सिलसिले
इतने अजीब क्यों हैं,
जो हिस्से नसीब में नहीं
वो दिल के करीब क्यों हैं,
ना जाने कैसे लोगों को
मिल जाती है उनकी चाहत,
आख़िर किस से पूछे
हम इतने बदनसीब क्यों हैं।
Roz din ehi hisaab launde nikal janda e
Shayad sabh badal gya e
Nahi duniya hi badal gyi e
Ja shayad asi hi badal gye haan..!!
ਰੋਜ਼ ਦਿਨ ਇਹੀ ਹਿਸਾਬ ਲਾਉਂਦੇ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦਾ ਏ
ਸ਼ਾਇਦ ਸਭ ਬਦਲ ਗਿਆ ਏ
ਨਹੀਂ ਦੁਨੀਆਂ ਹੀ ਬਦਲ ਗਈ ਏ
ਜਾਂ ਸ਼ਾਇਦ ਅਸੀਂ ਹੀ ਬਦਲ ਗਏ ਹਾਂ..!!
Rishta rakho to sacha
Nahi to alvida hi ascha🙌
रिश्ता रखो तो सच्चा
नही तो अलविदा ही अच्छा🙌