“Kuch pal Zindagi ke ese hote hai
Jisse hum akele hi jeene ko majbur
ho jaate hai .”
“Kuch pal Zindagi ke ese hote hai
Jisse hum akele hi jeene ko majbur
ho jaate hai .”
बातों ही बातों में उसकी
एक बात निकल जाती है
खबर नहीं कि कब उसकी
याद में रात निकल जाती है
मेरी मोहब्बत कहने से पहले
उसकी औकात निकल जाती है
कुछ हलचल सी है सीने में
सुकून कुछ खोया – सा है
जाने कैसी है ये अनुभूति
दिल कुछ रोया – सा है
कुछ आहट सी आयी है
और दिल कुछ धड़का – सा है।
हाथ – पाँव में हो रही कंपन-सी
बेचैनी ये जानी पहचानी – सी है
सांसे भी है कुछ थमी – सी
कितने वक्त गुज़र गये इन्तजार में
मेरी आहें भी हैं कुछ जमी – सी।
पलकें अब मूँदने लगी हैं
साँसें अब क्षीण पड़ रही हैं
अब तो आ जाओ इन लम्हों में
जाने कब लौटोगे?
आने का वादा था और ना भी था तो,
तुम्हारा इन्तज़ार तो था..
सारी हदें तोड़ कर आ जाओ
दुनिया की रस्मों को छोड़ कर आ जाओ
चंद लम्हों के लिए ही,
अब तो आ जाओ
मेरे लिए.. सिर्फ मेरे लिए |