जिंदगी के सफर में हर शख्स अपना सा मालूम होता है
जब तलक किसी से कोई उम्मीद की डोर ना बांधी जाए..
बादशाह अकबर की यह आदत थी कि वह अपने दरबारियों से तरह-तरह के प्रश्न किया करते थे। एक दिन बादशाह ने दरबारियों से प्रश्न किया, “अगर सबकी दाढी में आग लग जाए, जिसमें मैं भी शामिल हूं तो पहले आप किसकी दाढी की आग बुझायेंगे?”
“हुजूर की दाढी की” सभी सभासद एक साथ बोल पड़े।
मगर बीरबल ने कहा – “हुजूर, सबसे पहले मैं अपनी दाढी की आग बुझाऊंगा, फिर किसी और की दाढी की ओर देखूंगा।”
बीरबल के उत्तर से बादशाह बहुत खुश हुए और बोले- “मुझे खुश करने के उद्देश्य से आप सब लोग झूठ बोल रहे थे। सच बात तो यह है कि हर आदमी पहले अपने बारे में सोचता है।”
Kadon jhanjar teri da chhankara saadhe vehrre chhankana e
Khore kadon kunar di fikar ch tera matha thankana e
ਕਦੋਂ ਝਾਂਜਰ ਤੇਰੀ ਦਾ ਛਣਕਾਰਾ ਸਾਡੇ ਵਿਹੜੇ ਛਣਕਣਾ ਏ
ਖੋਰੇ ਕਦੋਂ ਕੂੰਨਰ ਦੀ ਫਿਕਰ ਚ’ ਤੇਰਾ ਮੱਥਾ ਠੱਣਕਣ ਏ