आँखों में जलन और सीने में गुबार है
झूठ की धुन्ध में दिखना बंद हो गया है
आदत हो गई है घुट-घुट कर मरने की
हवाओं में इतना ज़हर जो घुल गया है
आँखों में जलन और सीने में गुबार है
झूठ की धुन्ध में दिखना बंद हो गया है
आदत हो गई है घुट-घुट कर मरने की
हवाओं में इतना ज़हर जो घुल गया है
maut di gaud vich saun nu g karda
ohdi yaad aundi hai jadon, pata ni kyu
ekalla beh k raun nu g karda
माँ-बाप की उम्मीदों पर
खरा उतर गया ,
इतना आगे बढ़ा, पलटा
तो उसका साथ छुट गया।
अब फर्क नहीं पड़ता जनाब
कौन साथ है?, कौन पास है?
हजारों लोग मिले हैं मुझसे दिन में
पर वो पगली आज भी खास है।
क्या नजारा था मित्र
मैंने बर्बादी खुबसूरत देखी,
तेरे बिन मर जाऊँगी
हाय!………………
ऐसी उसकी आंखो में तड़प देखी।
दिल्लगी थी, मेरे दोस्त
कोई झूठा फसाना नहीं,
आज भी दिल कहता है
खबरदार,……………
उसके सिवा किसी से दिल लगाना नहीं।
दिल देता है हौसला, मेरे दोस्त
तभी आज भी, उसका इंतजार करूँ
कही मिल जाए दो पल के लिए
तो पगली से दिल भरके बातें करूँ।