ना जाने क्या हो गया आंखों हि आंखों में
सायद इसे इज़हार कैहते हैं
देखो ना दो दिनों से निंद नहीं आ रही मुझे
सायद इसे हि प्यार कैहते।
ना जाने क्या हो गया आंखों हि आंखों में
सायद इसे इज़हार कैहते हैं
देखो ना दो दिनों से निंद नहीं आ रही मुझे
सायद इसे हि प्यार कैहते।
मुझे तालाश नहीं कोई मंजिल की
जब राहो में मेरे साथ हो तुम।
मुझे नहीं चाहिए दौलत सूरत
मेरी इक बस अरमान हो तुम।
बंजर पड़ी मेरी ज़िंदगी को
शोभन करे वो बरसात हो तुम।
मेरी कौफ सी काली रातो को
रोषण करे वो चांद हो तुम।
मेरा दिन बन जाता लबो पे आते
वो खुदा सुनहरा नाम हो तुम।
मेरी हर मुश्किल को चीर के आगे
वो धनुष से निकला बान हो तुम।
मेरी हर दर्द को दुर करे
मलहम सा लगा बाम हो तुम।
मुझे क्या जरूरत किसी ऑर सक्स की
जब हर लम्हों में साथ हो तुम।
मुझे तालाश नहीं कोई मंजिल की
जब रहो में मेरे साथ हो तुम।
जो तन को पल में सीतल कर दे
वो सुबह की पहली आजन हो तुम।
जो सह ले हर करवी बाते
वो मधुर मीठी मुस्कन हो तुम।
जो राहत से भितम गरमी से
वो पेरो की ठंडी छाओ हो तुम।
खोल दे आखे सही वक्त पे
वो शोर करती आलार्म हो तुम।
मुझे तालाश नहीं कोई मंजिल की
जब रहो में मेरे साथ हो तुम।।
निखर जाती हैं मेरी मोहब्बत,
तेरी आजमाइश के बाद,
सवरता जा रहा है ये इश्क,
तेरी हर फरमाइश के बाद..