ना जाने क्या हो गया आंखों हि आंखों में
सायद इसे इज़हार कैहते हैं
देखो ना दो दिनों से निंद नहीं आ रही मुझे
सायद इसे हि प्यार कैहते।
ना जाने क्या हो गया आंखों हि आंखों में
सायद इसे इज़हार कैहते हैं
देखो ना दो दिनों से निंद नहीं आ रही मुझे
सायद इसे हि प्यार कैहते।
अपनी यादों में मुझे कभी यूं ही ढूंढ़ लेना तुम,
ना मिलूं तो धड़कनों से मेरा पता पूछ लेना तुम,
रहूंगी मौजूद इन हवाओं में हमेशा, फिर भी,
ना दिखूं तो इन्हें अपनी सांसों से छू लेना तुम…
हर सुख दुःख में, साथ साथ जीया करते थे
हार हो या जीत एक दुसरे का हमेशा साथ दिया करते थे
कभी हम तुमसे कभी तुम हमसे रूठ जाया करते थे
फिर हम तुम्हे और कभी तुम हमें मना लिया करते थे
एक दूसरे की खुद से ज्यादा परवाह किया करते थे
ये बात बस कल की ही लगती है
हम तुम अपनी दोस्ती पर कितना इतराया करते थे