और फिर कब तक वहा रहता मैं
और कब तक कुछ ना कहता मै
फिर मैने वो बोल ही दिया
कब तक यू चुप चाप रहता मैं
और फिर मरना ही मुनासिब समझा हमने
आखिर के तक ये सब सहता मैं
Well done is better than well said
और फिर कब तक वहा रहता मैं
और कब तक कुछ ना कहता मै
फिर मैने वो बोल ही दिया
कब तक यू चुप चाप रहता मैं
और फिर मरना ही मुनासिब समझा हमने
आखिर के तक ये सब सहता मैं
जब लोग आपसे खफा होने लग जाएं,
तो आप समझ लेना की
आप सही राह पर हैं.
उस जगह पे हमेशा खामोश रहना,
जहाँ दो कौड़ी के लोग अपनी
हैसियत के गुण गाते हैं.
क्रोध के समय थोड़ा रुक जाएं,
और गलती के समय थोड़ा झुक जाएं,
तो दुनिया की सब समस्याएं हल हो जाएगी.