Skip to content

छांव भी जरूरी है || hindi poetry

ज़िन्दगी सीधे साधे चलना ठीक नही
उबड़ खाबड़ पड़ाव भी जरूरी है,
तैरते तैरते बाजू थक जाएंगे
एक पल के लिए नाव भी जरूरी है,
बदलाव भी जरूरी
ये घाव भी जरूरी है,
इतनी धूप अच्छी नेही
थोड़ी छांव भी जरूरी है..!

हद-ए-शहर से निकली तो,
गांव-गांव चली..
कुछ यादें मेरे संग,
पांव-पांव चली..!
सफर जो धूप का किया तो,
तजुर्बा हुआ..
वो ज़िन्दगी ही क्या जो,
छांव-छांव चली..!!

Title: छांव भी जरूरी है || hindi poetry

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Zindagi ki ladaai || true story of life

कॉलेज तक हम पर ना पढ़ाई की जिम्मेदारी रहती है ,
और उसके बाद घर की जिम्मेदारी आ जाती है ।
अपने सपनो को रख कर एक तरफ ,
अपनो के सपनो को पूरा करने की जिम्मेदारी आती है ।

क्या करे कोई अगर लाखो की भीड़ में एक शख्स अच्छा लगे ,
तो उसे भी ठुकराना पड़ता है ।
प्यार व्यार सब अच्छा नही यही बताकर दिल को अपने मनाना पड़ता है ,
कभी पढ़ाई की तो कभी घर की जिम्मेदारी से दिल उदास भी हो तो 
सामने रह कर सबके चेहरे से तो मुस्कुराना पड़ता है ।

हर किसी को परेशानी अपनी खुद ही पता होती है ,
वरना दूसरो को खुश चेहरा ही दिखता है ।
खुद के अलावा किसी को क्या पता की कोन रोज यहां 
कितनी मुश्किलों में उलझता सा है ,

छोटा मोटा काम करके घर का खर्चा निकालना होता है ।
कभी कभी नौबत ऐसी आती है की दस या पंद्रह हजार में ,
महीना सारा संभालना पड़ता है । 
यहां से वहा से ले लेकर बच्चो की ख्वाईशे भी पूरी करनी पड़ती है ,
कोई साथ नही देता यार यहां जिंदगी की ये लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है ।

Title: Zindagi ki ladaai || true story of life


बड़ी मुश्किल है ये ज़िन्दगी || zindagi shayari

बड़ी मुश्किल है ये ज़िन्दगी….

यही तो गम है , जिसको संजोए रहता हूँ
जिनसे उम्मीद है , नाउम्मीद उन्हीं से रहता हूँ
कहनेको खुशियाँ हैं , दामन में बेशुमार मेरे
एक भी नहीं मिलती , जब दिल को टटोलता हूँ

कैसे साहिल तक , कश्ती को ले जाऊँ
टूट गया है सागर बीच , चप्पू मेरी नाव का
हवाएं संकेत देतीं हैं , आनेवाले तुफ़ा का
कहीं सपना अधूरा न रह जाए , किनारों का

बड़ी मुश्किल है ये ज़िन्दगी
लोग जाने यहाँ कैसे जीतें हैं
हमने तो जबभी सुकून ढ़ूंढ़ा
कशमकश के फ़साने मिलतें हैं

जरासी खुशी देकर , ज़िन्दगी लूट लेती है
अपने आकर्षण में फ़साके , गम खूब देती है
न रह पातें हैं , न निकल पातें हैं इससे
जाने कितनें जनमों का , ये हिसाब लेती है

कोई कुछ भी कहे , सभी इसी के मारें हैं
मरतें हैं कई बार , जीतें सांसों के सहारे हैं
इक दिन चुपके से चलेजातें हैं
क्या पाया क्या खोया , शुन्य में ये भी न जान पातें हैं

Title: बड़ी मुश्किल है ये ज़िन्दगी || zindagi shayari