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ज़िन्दगी जीना सीखा रही थी || zindagi shayari

कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,

फिर ढूँढा उसे इधर उधर
वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,

एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार,
वो सहला के मुझे सुला रही थी

हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,

मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया
कमबख्त तूने,
वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले
तुझे जीना सिखा रही थी।

Title: ज़िन्दगी जीना सीखा रही थी || zindagi shayari

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Materialistic World || English quotes

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maut insaanon ko aatee || Maut Sad Hindi shayari

kaise bhula doon us bhoolane vaale ko main,
maut insaanon ko aatee hai yaadon ko nahin..

कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं..

Title: maut insaanon ko aatee || Maut Sad Hindi shayari