हम रोशनी में बैठकर,सारी रात लिखते हैं
उस नक़ाव में हमको,दो चिराग़ दिखते हैं
तुझको अंदाज़ा भी नहीं होगा,के मेरे बगैर
तेरे पास बैठे लोग,कितने ख़राब दिखते हैं
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हम रोशनी में बैठकर,सारी रात लिखते हैं
उस नक़ाव में हमको,दो चिराग़ दिखते हैं
तुझको अंदाज़ा भी नहीं होगा,के मेरे बगैर
तेरे पास बैठे लोग,कितने ख़राब दिखते हैं
Khuda ko bhul gye log fikr-e-rozi mein
Rizk kamane me razik ko bhul gye..
खुदा को भूल गए लोग फिक्र-ए-रोज़ी में
रिज़्क़ कमाने में राजिक को भूल गए..