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YE ZINDAGI ज़िन्दगी

ये  ज़िन्दगी….

ये ज़िन्दगी बहुत ही अज़ीब है यारो

कोई मौत से डरता है…तो कोई जीते जी मरता है

हर किसी को ज़िन्दगी से मोहोब्बत होती है

और जीवन खोने से हर किसी का दिल डरता है

किसी को हँसाती और किसी को रुलाती है ये ज़िन्दगी

और दिल रो रो कर यूँ ही आहें भरता है

किसी का शोंक बन जाती है…और कोई गले लगाना चाहता है इसे..

लेकिन “रूप” नफ़रत तो उसे हो जाती है इस ज़िन्दगी से

जो मोहोब्बत किसी से बेशूमार करता है….

 

Ye zindagi bhut hi azib hai yaaro

Koi maut se drta hai..to koi jite ji mrta hai

Har kisiko zindagi se mohobbat hoti hai

Or jivan khone se har kisi ka dil drta hai

Kisi ko hsaati or kisi ko rulati hai j zindagi

Or dil ro ro kr yun hi aanhein bharta hai

Kisi ka shonk bn jati hai…or koi gle lgana chahta hai ise…

Lekin “Rup” nfrt to use ho jati hai is zindagi se

Jo mohobbat kisi se beshumar krta hai…

 

Title: YE ZINDAGI ज़िन्दगी

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Udass dil🥺 || two line hindi shayari

❤💕 🍃Na Jaane Kyu Bahut Udaas Hai Dil Aaj
Lagta Hai Ki Kisika Pakka Irada Hai Hamein Bhool Jaane Ka🍃❤💕

❤💕 🍃न जाने क्यों बहुत उदास है दिल आज
लगता है कि किसीका पक्का इरादा है हमें भूल जाने का🍃❤💕

Title: Udass dil🥺 || two line hindi shayari


Dost || hindi poetry

सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
दिल की गिनती न यगानों में न बेगानों में
लेकिन उस जल्वा-गह-ए-नाज़ से उठता भी नहीं
मेहरबानी को मोहब्बत नहीं कहते ऐ दोस्त
आह अब मुझ से तिरी रंजिश-ए-बेजा भी नहीं
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
आज ग़फ़लत भी उन आँखों में है पहले से सिवा
आज ही ख़ातिर-ए-बीमार शकेबा भी नहीं
बात ये है कि सुकून-ए-दिल-ए-वहशी का मक़ाम
कुंज-ए-ज़िंदाँ भी नहीं वुसअ’त-ए-सहरा भी नहीं
अरे सय्याद हमीं गुल हैं हमीं बुलबुल हैं
तू ने कुछ आह सुना भी नहीं देखा भी नहीं
आह ये मजमा-ए-अहबाब ये बज़्म-ए-ख़ामोश
आज महफ़िल में ‘फ़िराक़’-ए-सुख़न-आरा भी नहीं
ये भी सच है कि मोहब्बत पे नहीं मैं मजबूर
ये भी सच है कि तिरा हुस्न कुछ ऐसा भी नहीं
यूँ तो हंगामे उठाते नहीं दीवाना-ए-इश्क़
मगर ऐ दोस्त कुछ ऐसों का ठिकाना भी नहीं
फ़ितरत-ए-हुस्न तो मा’लूम है तुझ को हमदम
चारा ही क्या है ब-जुज़ सब्र सो होता भी नहीं
मुँह से हम अपने बुरा तो नहीं कहते कि ‘फ़िराक़’
है तिरा दोस्त मगर आदमी अच्छा भी नहीं

Title: Dost || hindi poetry