ਪਿਆਰ ਸਦਾ ਦੂਜੇ ਬਾਰੇ ਸੋਚਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲੋਂ ਚੰਗੇਰਾ ਸਮਝ ਕੇ ਸੋਚਦਾ ਹੈ ,
ਇਸ ਸੋਚ ਵਿਚ ਹੀ ਆਨੰਦ ਹੈ !
ਪਿਆਰ ਸਦਾ ਦੂਜੇ ਬਾਰੇ ਸੋਚਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲੋਂ ਚੰਗੇਰਾ ਸਮਝ ਕੇ ਸੋਚਦਾ ਹੈ ,
ਇਸ ਸੋਚ ਵਿਚ ਹੀ ਆਨੰਦ ਹੈ !
अकबर बीरबल की हाज़िर जवाबी के बडे कायल थे। एक दिन दरबार में खुश होकर उन्होंने बीरबल को कुछ पुरस्कार देने की घोषणा की। लेकिन बहुत दिन गुजरने के बाद भी बीरबल को पुरस्कार की प्राप्त नहीं हुई। बीरबल बडी ही उलझन में थे कि महाराज को याद दिलायें तो कैसे?
एक दिन महारजा अकबर यमुना नदी के किनारे शाम की सैर पर निकले। बीरबल उनके साथ था। अकबर ने वहाँ एक ऊँट को घुमते देखा। अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल बताओ, ऊँट की गर्दन मुडी क्यों होती है”?
बीरबल ने सोचा महाराज को उनका वादा याद दिलाने का यह सही समय है। उन्होंने जवाब दिया – “महाराज यह ऊँट किसी से वादा करके भूल गया है, जिसके कारण ऊँट की गर्दन मुड गयी है। महाराज, कहते हैं कि जो भी अपना वादा भूल जाता है तो भगवान उनकी गर्दन ऊँट की तरह मोड देता है। यह एक तरह की सजा है।”
तभी अकबर को ध्यान आता है कि वो भी तो बीरबल से किया अपना एक वादा भूल गये हैं। उन्होंने बीरबल से जल्दी से महल में चलने के लिये कहा। और महल में पहुँचते ही सबसे पहले बीरबल को पुरस्कार की धनराशी उसे सौंप दी, और बोले मेरी गर्दन तो ऊँट की तरह नहीं मुडेगी बीरबल। और यह कहकर अकबर अपनी हँसी नहीं रोक पाए।
और इस तरह बीरबल ने अपनी चतुराई से बिना माँगे अपना पुरस्कार राजा से प्राप्त किया।
asi apne aap to haare
hor das asi kis ton harage
aur jinaa lokaa ne bewafai kiti
apne hi si
hun bta asi apneyaa nu maarange
ਅਸੀਂ ਅਪਣੇ ਆਪ ਤੋਂ ਹਾਰੇਆ
ਹੋਰ ਦਸ ਅਸੀਂ ਕਿਸ ਤੋਂ ਹਾਰਾ ਗੈ
ਔਰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਬੇਵਫ਼ਾਈ ਕਿਤੀ
ਅਪਣੇ ਹੀ ਸੀ
ਹੂਨ ਬਤਾ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇਆ ਨੂੰ ਮਾਰਾਂਗੇ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ 🌷