
jihnu byaan karn lai saadhiyaan akhaan
hungaara na bharn
Me us cheez nu chaah ke aapna vazood hi khatam kar liyaa
Jihnu paun di meri aukaat hi nahi si
ਮੈਂ ਉਸ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਚਾਹ ਕੇ ਆਪਣਾ ਵਜੂਦ ਹੀ ਖ਼ਤਮ ਕਰ ਲਿਆ
ਜਿਹਨੂੰ ਪਾਉਣ ਦੀ ਮੇਰੀ ਔਕਾਤ ਹੀ ਨਹੀਂ ਸੀ
वो आसमन मै फैला उजाला है,
या मेरे घुस्से पर लगा ताला|
वो पहाडो की चोटी पर सुरज की किरण है,
या जिंदगी सही जिने का आचरण|
वो ना हो तो वर्णमाला अधुरी है,
वो जो सबसे ज्यादा जरुरी है|
डाटता हु तो चुप हो जाती है,
फिर मेरी गोद मै आ कर सिसककर रोती है|
वो मुझसे मेहेंगे तौफे या खिलोने नही चाहती,
वो तो बस कुछ वक्त मेरे साथ बिताना चाहती है|
लोग केहते है बेटिया तो पराया धन होती है,
पर एक बाप से पूछो वो उसके जिनेका मकसद होती है|
बेटीया तो सिर्फ बेटीया होती है|