Skip to content

JO GAYE C BITAYE

Pata  ni kyu ajh v changee lagde ne oh din jo tere naal gaye c bitaye

Pata ni kyu
ajh v changee lagde ne oh din
jo tere naal gaye c bitaye


Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Khafaa hona jaroori hai…

Yun toh aap humse kabhi khafaa honge nai,

Par is mohobbat me kabhi kabhi khafaa hona acha hai…

Do jism, ek jaan or ye pyaar jab sacha hai,

Toh is mohobbat me kabhi kabhi khafaa hona kaafi acha hai…

Title: Khafaa hona jaroori hai…


Birbal ki sawarg yatra || birbal akbar kahani

एक दिन शहंशाह अकबर नाई से अपनी हजामत बनबा रहे थे। तभी वह नाइ शहंशाह अकबर की तारीफ करने लगता है –
नाई – जहाँ पनाह आप अपनी सल्तनत में सबका ख्याल रखते हैं बच्चे, बड़े, गरीब, लाचार आदि सबका।
अकबर – शुक्रिया!
नाई – लेकिन, जहाँ पनाह!
अकबर – लेकिन, लेकिन क्या, क्या हम किसी को भूल रहे हैं, जिसकी हम देख भाल नही करते हैं?
नाई – जहाँ पनाह गुस्ताखी माफ करें, क्या कभी आपने बड़े-बूढों यानी कभी अपने पूर्वजों के बारे में सोचा है, जो दुनिया छोड़ कर स्वर्ग चले गए हैं।
अकबर – लेकिन हम तो उनका भी ख्याल रखते हैं, उनके हक में हम दुआ करते हैं, उनकी याद में हमने शाही मकबरे बनवाये है।
नाई – लेकिन जहाँ पनाह कभी आपने किसी को स्वर्ग भेजा है, अपने पूर्वजों की खबर लेने के लिए, उन्हें किसी चीज़ की वहाँ ज़रूरत तो नही है।
अकबर – क्या, ये क्या कह रहे हो, कोई स्वर्ग जाकर बापस कैसे आ सकता है, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या। कोई स्वर्ग की यात्रा करके बापस कैसे आ सकता है।
नाई – जहाँ पनाह मैं सच कह रहा हूँ, स्वर्ग की यात्रा करके बापस आ सकता है, मैं एक ऐसे योगी बाबा को जानता हूँ, जो स्वर्ग भेज कर बापस बुला सकते हैं। बजीर अब्दुल्ला उनके भक्त हैं। आप चाहे तो बज़ीर अब्दुल्ला से कहे कर आप उस योगी को बुला सकते हैं।
अकबर – ठीक है तुम कल ही बज़ीर अब्दुल्ला से कह कर उस योगी को बुलाओ।

फिर अगले दिन बज़ीर अब्दुल्ला उस योगी बाबा को लेकर आते हैं।
अकबर – बज़ीर अब्दुल्ला क्या योगी बाबा दरबार में आ गए हैं।
बज़ीर अब्दुल्ला – जी! जहाँ पनाह वो दरबार के बाहर ही खड़े हैं। आपकी इज़ाज़त हो तो उन्हें बुलाया जाए।
अकबर – जी बज़ीर अब्दुल्ला उन्हें बुलाया जाए।
योगीराज निरंजन बाबा दरबार मे हाज़िर होते हैं।
योगीराज – अलख निरंजन, मेरा नाम योगी निरंजन बाबा है।
अकबर – हमने सुना है योगी जी आप किसी को भी स्वर्ग भेज कर बापस बुला सकते हैं ये बात सच हैं।
योगीराज – हाँ मैं किसी को भी स्वर्ग भेज कर बापस बुला सकता हूँ।
अकबर – हमें भी अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी चाहिये, वह स्वर्ग में कैसे रह रहे हैं, उन्हें वहाँ किसी चीज़ की ज़रूरत तो नही है।
योगीराज – आप किसी भरोसे मन्द इंसान को स्वर्ग भेज सकते हैं, जो स्वर्ग के मोह में न फस कर बापस आ सके।
बज़ीर अब्दुल्ला – जहाँ पनाह आप बीरबल को इस काम के लिए भेज दीजिए, बीरबल से ज़्यादा भरोसेमंद और कौन हो सकता है।
अकबर – बीरबल क्या आप हमारे लिए स्वर्ग जाएंगे।
बीरबल – जी! जहाँ पनाह मैं स्वर्ग जरूर जाऊंगा। लेकिन उससे पहले मैं निरंजन बाबा से कुछ पूछना चाहता हूँ। योगी राज़ इस यात्रा में कितना समय लगेगा।
योगीराज – इस यात्रा में कम से कम दो महीने लगेंगे अगर तुम स्वर्ग के सुख के मोह में न फसों तो।
बीरबल – योगी जी आप मुझे स्वर्ग कैसे भेजेंगे।
योगीराज – मैं एक पवित्र आग जलाऊंगा उसमे तुम्हे प्रबेश करना है, वैसे तो ये क्रिया कहीं भी हो सकती है, लेकिन हम इसे गंगा नदी के किनारे करेंगे।
बीरबल – जहाँ पनाह मैं काफी दिनों के लिए अपने घर से दूर रहूंगा। इसलिए मैं चार पांच दिन की मोहलत मांगता हूं, कुछ अधूरे काम निपटाने है।
अकबर – ठीक है बीरबल, योगीराज जी आप ये काम पांच दिन बाद सम्पन करें।

अब पांच दिन बाद बीरबल को जलाने के लिए ले जाया जाता है। स्वर्ग की यात्रा के लिए योगीराज विधि सम्पन्न करते हैं। वह एक चिता पर फूल और कुछ सामिग्री डालते हैं और बीरबल के माथे पर तिलक करते हैं और चित्त हो जाने को कहते हैं।
बीरबल – अलबिदा! जहाँ पनाह।
अकबर – हमे आपकी बहुत याद आएगी आप जल्दी लौटने की कोशिश करना।
बीरबल – जी जहाँ पनाह, मैं जल्दी लौट कर आऊंगा।

और फिर दो महीने गुज़र जाते हैं, शहंशाह अकबर बहुत चिंतित हो जाते हैं।
अकबर – हमे बीरबल की बहुत याद आ रही है, दो महीने गुज़र चुके पर बीरबल अभी तक नही लौटे, हमे बहुत चिंता हो रही है। योगीराज का क्या कहना है, कब तक बीरबल लौट आएंगे।
बज़ीर अब्दुल्ला – जहाँ पनाह, योगी बाबा ये भी तो कह रहे थे हो सकता है बीरबल को स्वर्ग के सुख बहुत भा गए हों और वह उन्हें छोड़ कर न आना चाहें।
अकबर – नही ऐसा कभी नही हो सकता है, बीरबल ऐसा कभी नही कर सकते हैं, उन पर हमें पूरा भरोसा है।
उसी वक्त वहां पर बीरबल आते हैं। उनके लम्बे लम्बे बाल होते हैं। लम्बी सी दाड़ी अकबर उन्हें देख कर बहुत खुश होते हैं।
अकबर – खुशामदीद! खुशामदीद! हमे आपको देख कर बहुत खुशी हुई और बताइए स्वर्ग में हमारे पूर्वज कैसे हैं, उन्हें किसी चीज की वहाँ जरूरत तो नही है।
बीरबल – नही, जहाँ पनाह उन्हें किसी भी चीज़ की ज़रूरत नही है, वे वहां बहुत खुश हैं।
अकबर – लेकिन बीरबल आपने ये बाल इतने क्यों बड़ा लिए हैं।
बीरबल – जहाँ पनाह मेरे ही नही वहां पर सभी के बाल बहुत लंबे हैं। वहाँ पर कोई नाई नही है बाल काटने के लिए। इसलिए उन सभी ने यहाँ पर जो नाई है उसे बुलाने के लिए कहा है ताकि वो वहाँ सबके बाल काट सके ।
अकबर – हाँ, हाँ क्यूँ नही, हम अभी अपने नाई को वहाँ भेज रहे हैं। योगिराज़ और वह नाई अभी यहीं पर हैं, वो इस वक्त हमारे मेहमान बन कर रह रहे हैं। हम अभी स्वर्ग भेजने की क्रिया करबाते हैं, योगीराज और उस नाई को बुलाते हैं।
वो दोनों दरबार मे हाज़िर होते हैं, अकबर उनसे कहते हैं-
अकबर – योगीराज स्वर्ग में नाई की ज़रूरत है, आप जल्दी से इस नाई को स्वर्ग भेजने की क्रिया शुरू कीजिए।
नाई – (अपने घुटनों पर गिर कर), जहाँ पनाह मुझे माफ़ कर दीजिए, मुझसे ये सब बज़ीर अब्दुल्ला ने करवाया था। क्योंकि वह बीरबल की शोहरत से जलते हैं और बीरबल को अपने रास्ते से हटाना चाहते थे और ये बाबा भी पाखंडी है। पता नही बीरबल उस आग से कैसे बच गए, लेकिन मैं नही बचूंगा, मुझे माफ़ कर दीजिये
अकबर – क्या, इतनी बड़ी साजिश बीरबल के खिलाफ! सिपाहियों इस पाखंडी बाबा और इस नाई को ले जाओ और काल कोठरी में डाल दो। और तुम बज़ीर अब्दुल्ला मुझे तुम से ये उम्मीद नही थी। मैं अगर चाहूँ तो तुम्हे अभी फांसी पर लटका दूँ, लेकिन तुमने हमारी कई साल हिफाज़त की है, इसलिए हम तुम्हें इस देश से निकाल देते हैं।
सिपाहियों इसे ले जाकर सरहद के बाहर छोड़ आओ और फिर कभी अपनी शक्ल मत दिखाना।
अच्छा बीरबल मेरे बुद्धिमान दोस्त ये बताओ तुम्हे इस साजिश का कैसे पता लगा।
बीरबल – जहाँ पनाह जब मैंने योगीराज के मुँह अगम प्रवेश करने वाली बात सुनी तो मुझे लगा दाल में कुछ काला है। तभी तो मैंने आपसे पांच दिन की मोहलत मांगी और मैंने उन पांच दिनों में एक ऐसी सुरंग तैयार करवाई जो उस जगह से सीधे मेरे घर को जाती है।
जहाँ पनाह जब योगीराज ने आग जलाई तो मैं सीधे उस सुरंग पर खड़ा था, जो मेरे घर को जाती है, योगीराज के आग जलाते ही मैं सुरंग का दरबाजा खोल कर अपने घर पहुंच गया।
जहाँ पनाह इस तरह से मैं वहां से बच निकला। और मैं चाहता था, ये लोग अपना गुनाह खुद कुबूल करें इसलिए मैंने दो महीने अपने बाल नही काटे, क्योंकि मैं ये भी जानता था कि इन तीनो में सबसे कमज़ोर कड़ी नाई है।
अकबर – वाह! बीरबल वाह! एक तुम ही हो जो ऐसा कर सकते हो। तुम्हारे जैसा कोई नही! मेरे शातिर दोस्त तुम ही ऐसा कर सकते हो। वाह! बीरबल वाह!
बीरबल – शुक्रिया! जहाँ पनाह शुक्रिया!

Title: Birbal ki sawarg yatra || birbal akbar kahani