ਮੈਫਿਲਾ ਤਾ ਲੱਗਦੀਆ ਨਹੀ ਮੇਲੇ ਬੜੇ ਦੂਰ ਨੇ,
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ ਹਰ ਬੰਦੇ ਵਿੱਚ ਬੜੇ ਗ਼ਰੂਰ ਨੇ।
ਮਾਂ ਦੇ ਨਾਲੋ ਡਾਲਰ💵ਦੀ ਛਾਂ ਸੰਘਣੀ ਲੱਗਣ ਲੱਗ ਪਈ ਏ,
ਹਰ ਕੋਲ ਇਕੋ ਬਹਾਨਾ ਸਾਨੂੰ ਮਜਬੂਰੀ ਮਾਰਦੀ ਪਈ ਏ।
ਕੁਲਵਿੰਦਰਔਲਖ
ਮੈਫਿਲਾ ਤਾ ਲੱਗਦੀਆ ਨਹੀ ਮੇਲੇ ਬੜੇ ਦੂਰ ਨੇ,
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ ਹਰ ਬੰਦੇ ਵਿੱਚ ਬੜੇ ਗ਼ਰੂਰ ਨੇ।
ਮਾਂ ਦੇ ਨਾਲੋ ਡਾਲਰ💵ਦੀ ਛਾਂ ਸੰਘਣੀ ਲੱਗਣ ਲੱਗ ਪਈ ਏ,
ਹਰ ਕੋਲ ਇਕੋ ਬਹਾਨਾ ਸਾਨੂੰ ਮਜਬੂਰੀ ਮਾਰਦੀ ਪਈ ਏ।
ਕੁਲਵਿੰਦਰਔਲਖ
Do pal ki yeh zindagi ,ekpal me hojata tabah
yuhi bewajah khud se hi khud hojate khafa
jeeke v maut ka manjar najar aata ek dafa
dil me dard rkh k muskurate honth ,yeh aankhen hai unki gawah
Ulzhi si yeh zindagi ko suljha de tuhi e khuda
jeeke v na jee paau mein, krde mujhko mujhse juda
ये तिरंगा ये तिरंगा ये हमारी शान है
विश्वभर में भारती की अमिट पहचान है
ये तिरंगा हाथ में ले पग निरंतर ही बढ़े
ये तिरंगा हाथ में ले दुश्मनों से हम लड़े
ये तिरंगा विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है
ये तिरंगा वीरता का गूंजता इक मंत्र है
ये तिरंगा वन्दना है भारती का मान है
ये तिरंगा विश्व जन को सत्य का संदेश है
ये तिरंगा कह रहा है अमर भारत देश है
ये तिरंगा इस धरा पर शान्ति का संधान है
इसके रंगो में बुना बलिदानियों का नाम हैं
ये बनारस की सुबह है ये अवध की शाम है
ये कभी मन्दिर कभी ये गुरुओं का द्वार लगे
चर्च का गुम्बंद कभी मस्जिद की मीनार लगे
ये तिरंगा धर्म की हर राह का सम्मान है
ये तिरंगा बाइबिल है भागवत का श्लोक है
ये तिरंगा आयत ए कुरआन का आलोक है
ये तिरंगा वेद की पावन ऋचा का ज्ञान है
ये तिरंगा स्वर्ग से सुंदर धरा कश्मीर है
ये तिरंगा झूमता कन्याकुमारी नीर है
ये तिरंगा माँ के होठों की मधुर मुस्कान है
ये तिरंगा देव नदियों का त्रिवेणी रूप है
ये तिरंगा सूर्य की पहली किरण की धुप है
ये तिरंगा भव्य हिमगिरी का अमर वरदान है
शीत की ठंडी हवा ये ग्रीष्म का अंगार है
सावनी मौसम में मेघों का छलकता प्यार है
झंझावतों में लहराए गुणों की खान है
ये तिरंगा लता की इक कुठुकती आवाज है
ये रविशंकर के हाथों में थिरकता ताज है
टैगोर के जनगीत जन गण मन का ये गुणगान है
ये तिरंगा गांधी जी की शान्ति वाली खोज है
ये तिरंगा नेताजी के दिल से निकला ओज है
ये विवेकानंद जी का जगजयी अभियान है
रंग होली के है इसमें ईद जैसा प्यार है
चमक क्रिसमस की लिए यह दीप सा त्यौहार है
ये तिरंगा कह रहा ये संस्कृति महान है
ये तिरंगा अंडमानी काला पानी जेल है
ये तिरंगा शांति और क्रांति का अनुपम मेल है
वीर सावरकर का ये इक साधना संगान है