Hun ni me pauna koi tand mohobat da
tera mera kaat ajh ton band mohobat da
ਹੁਣ ਨਈ ਮੈਂ ਪਾਉਣਾ ਕੋਈ ਤੰਦ ਮੁਹੱਬਤ ਦਾ,
ਤੇਰਾ ਮੇਰਾ ਖਾਤਾ ਅੱਜ ਤੋਂ ਬੰਦ ਮੁਹੱਬਤ ਦਾ।।
Hun ni me pauna koi tand mohobat da
tera mera kaat ajh ton band mohobat da
ਹੁਣ ਨਈ ਮੈਂ ਪਾਉਣਾ ਕੋਈ ਤੰਦ ਮੁਹੱਬਤ ਦਾ,
ਤੇਰਾ ਮੇਰਾ ਖਾਤਾ ਅੱਜ ਤੋਂ ਬੰਦ ਮੁਹੱਬਤ ਦਾ।।
जाने कहाँ बैठकर देखती होगी, वो आज जहां भी रहती है..
नाराज़ है वो किसी बात को लेकर, सपनों में आकर कहती है..
मैं याद नहीं करता अब उसको, चुप-चाप देखकर सहती है..
वो चली गई भले दुनिया से, मेरे ज़हन में अब भी रहती है..
उसे चाहता हूँ पहले की तरह, ये तो वो आज भी कहती है..
किसी और संग मुझे देख-ले गर जो, वो आज भी लड़ती रहती है..
ना वो भूली ना मैं भुला, भले भूल गई दुनिया कहती है..
रहती थी पहले भी पास मेरे, मेरे साथ आज भी रहती है..
कई मुलाक़ातों के बाद आख़िर, ये मुलाक़ात आई है..
आएगी फिर से सुकून भरी नींद, फिर वो रात आई है..
हम सोऐ नहीं ना जाने कब से, आराम अधूरा है..
मेरी राहत की साँसें वो देखो मेरी जान, अपना साथ लाई है..