Sochda wa kinne masoom c oh
ki ton ki ho gye oh vekhde vekhde
ਸੋਚਦਾ ਵਾਂ ਕਿੰਨੇ ਮਾਸੂਮ ਸੀ ਓਹ
ਕੀ ਤੋਂ ਕੀ ਹੋ ਗਏ ਓਹ ਵੇਖਦੇ ਵੇਖਦੇ
Sochda wa kinne masoom c oh
ki ton ki ho gye oh vekhde vekhde
ਸੋਚਦਾ ਵਾਂ ਕਿੰਨੇ ਮਾਸੂਮ ਸੀ ਓਹ
ਕੀ ਤੋਂ ਕੀ ਹੋ ਗਏ ਓਹ ਵੇਖਦੇ ਵੇਖਦੇ
अंकुर मिट्टी में सोया था सपने मै खोया था
नन्हा बीज हवा ने लाकर एक जगह बोया था।
तभी बीज ने ली अंगड़ाई देह जरा सी पाई
आंख खोलकर बाहर आया, दुनिया पड़ी दिखाई
खाद्य मिली पानी भी पाया ऐसे जीवन आया
ऊपर बड़ा इधर, धरती में नीचे उधर समाया।
तने डालिया पत्ते आए और फल मुस्कराए
नन्हा बीज वृक्ष बनकर धरती पर लहराए।
जीता मरता रोगी होता दुख आने पर सोता
वृक्ष सांस लेता बढ़ता है जगता है फिर सोता।
रोज शाम को चिड़िया आती सारी रात बिताती
बड़े सवेरे जाग वृक्ष, पर ची ची ची ची गाती।
छाया आती बड़ी सुआती सब टोली झूट जाती
तरह तरह के खेल वर्क्ष के नीचे बैठ रचती।
Tadpan…
Jo dil mere ch hai
Ki usnu kade mehsus nahi hundi howegi💔..??
ਤੜਪਨ…
ਜੋ ਦਿਲ ਮੇਰੇ ‘ਚ ਹੈ
ਕੀ ਉਸਨੂੰ ਕਦੇ ਮਹਿਸੂਸ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੋਵੇਗੀ💔..??