Poore shehar mein myassar nhi hawa kahi,
Bas meri rooh hai jo dar dar bhatkati hai..
पूरे शहर में मयस्सर नहीं हवा कहीं,
बस मेरी रूह है जो दर दर भटकती है…
Poore shehar mein myassar nhi hawa kahi,
Bas meri rooh hai jo dar dar bhatkati hai..
पूरे शहर में मयस्सर नहीं हवा कहीं,
बस मेरी रूह है जो दर दर भटकती है…
रूप था उसका बहुत विशाल, राक्षस था वो बहुत भारी..
नाम था दशानन उसका, बुद्धि न जिसकी किसी से हारी..
हर कोई डरता था उससे, हो देव, दैत्य, चाहे नर-नारी..
प्रकोप था जिसका लोकों में, धरती कांपती थी सारी..
देखके ताकत को उसकी, भागे खड़े पैर बड़े बाल-धारी..
विशाल साम्राज्य पर उसके, भारी पड़ गई बस एक नारी..
घमंड को उसके चूर कर दिया, कहा समझ ना तू निर्बल नारी..
विधवंश का तेरे समय आ गया, ले आ गयी देख तेरी बारी..
लंका में बचेगा ना जीव कोई, मति जो गई तेरी मारी..
आराध्य से मेरे दूर कर दिया, भुगतेगी तेरी पीढी सारी..
रघुनंदन आए कर सागर पार, आए संग वानर गदा धारी..
एक-एक कर सबको मोक्ष दिया, सियाराम चरण लागी दुनिया सारी..
chen udh gya dil da
naa neend rahi raatan di
tu kaisa rog la dita
aadat pe gai
teriyaan yaadan di, mulakaatan di
ਚੈਨ ਉੱਡ ਗਿਆ ਦਿਲ ਦਾ
ਨਾ ਨੀਂਦ ਰਹੀ ਰਾਤਾਂ ਦੀ
ਤੂੰ ਕੈਸਾ ਰੋਗ ਲਾ ਦਿਤਾ
ਆਦਤ ਪੈ ਗਈ
ਤੇਰੀਆਂ ਯਾਦਾਂ ਦੀ, ਮੁਲਾਕਾਤਾਂ ਦੀ