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Hindi poetry || zindagi

चल रहा महाभारत का रण, जल रहा धरित्री का सुहाग,
फट कुरुक्षेत्र में खेल रही, नर के भीतर की कुटिल आग।
वाजियों-गजों की लोथों में, गिर रहे मनुज के छिन्न अंग,
बह रहा चतुष्पद और द्विपद का रुधिर मिश्र हो एक संग।

गत्वर, गैरेय,सुघर भूधर से, लिए रक्त-रंजित शरीर,
थे जूझ रहे कौंतेय-कर्ण, क्षण-क्षण करते गर्जन गंभीर।
दोनों रण-कुशल धनुर्धर नर, दोनों सम बल, दोनों समर्थ,
दोनों पर दोनों की अमोघ, थी विशिख वृष्टि हो रही व्यर्थ।

इतने में शर के लिए कर्ण ने, देखा ज्यों अपना निषंग,
तरकस में से फुंकार उठा, कोई प्रचंड विषधर भुजंग।
कहता कि कर्ण ! मैं अश्वसेन, विश्रुत भुजंगों का स्वामी हूँ,
जन्म से पार्थ का शत्रु परम, तेरा बहुविधि हितकामी हूँ।

बस एक बार कर कृपा धनुष पर, चढ़ शख्य तक जाने दे,
इस महाशत्रु को अभी तुरत, स्पंदन में मुझे सुलाने दे।
कर वमन गरल जीवन-भर का, संचित प्रतिशोध, उतारूँगा,
तू मुझे सहारा दे, बढ़कर, मैं अभी पार्थ को मारूँगा।

राधेय ज़रा हँसकर बोला, रे कुटिल ! बात क्या कहता है?
जय का समस्त साधन नर का, अपनी बाहों में रहता है।
उसपर भी साँपों से मिलकर मैं मनुज, मनुज से युद्ध करूँ?
जीवन-भर जो निष्ठा पाली, उससे आचरण विरुद्ध करूँ?
तेरी सहायता से जय तो, मैं अनायास पा जाऊँगा,
आनेवाली मानवता को, लेकिन क्या मुख दिखलाऊँगा?
संसार कहेगा, जीवन का, सब सुकृत कर्ण ने क्षार किया,
प्रतिभट के वध के लिए, सर्प का पापी ने साहाय्य लिया।

रे अश्वसेन ! तेरे अनेक वंशज हैं छिपे नरों में भी,
सीमित वन में ही नहीं, बहुत बसते पुरग्राम-घरों में भी।
ये नर-भुजंग मानवता का, पथ कठिन बहुत कर देते हैं,
प्रतिबल के वध के लिए नीच, साहाय्य सर्प का लेते हैं।
ऐसा न हो कि इन साँपों में, मेरा भी उज्ज्वल नाम चढ़े,
पाकर मेरा आदर्श और कुछ, नरता का यह पाप बढ़े।
अर्जुन है मेरा शत्रु, किन्तु वह सर्प नहीं, नर ही तो है,
संघर्ष, सनातन नहीं, शत्रुता, इस जीवन-भर ही तो है।

अगला जीवन किसलिए भला, तब हो द्वेषांध बिगाड़ूँ मैं,
साँपों की जाकर शरण, सर्प बन, क्यों मनुष्य को मारूँ मैं?
जा भाग, मनुज का सहज शत्रु, मित्रता न मेरी पा सकता,
मैं किसी हेतु भी यह कलंक, अपने पर नहीं लगा सकता

Title: Hindi poetry || zindagi

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Nindak hi tuhade || truth life shayari punjabi

Jekr tuhadi nindaa ho rahi ee taa isdi parwaah bilkul naa karo
kyuki hado wadh change lokaa nu es vich di ho ke langhnaa hi painda
nindak hi akeer vich tuhade parshanshak bande ne

ਜੇਕਰ ਤੁਹਾਡੀ ਨਿੰਦਾ ਹੋ ਰਹੀ ਏ ਤਾਂ ਇਸਦੀ ਪਰਵਾਹ ਬਿਲਕੁਲ ਨਾ ਕਰੋ
ਕਿਉਂਕਿ ਹੱਦੋ ਵੱਧ ਚੰਗੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਵਿੱਚ ਦੀ ਹੋ ਕੇ ਲੰਘਣਾ ਹੀ ਪੈਦਾ
ਨਿੰਦਕ ਹੀ ਅਖੀਰ ਵਿੱਚ ਤੁਹਾਡੇ ਪ੍ਰਸੰਸਕ ਬਣਦੇ ਨੇ।

ਹਰਸ✍️

Title: Nindak hi tuhade || truth life shayari punjabi


If Not For You || True love poem English

If not for you, I wouldn’t know
What true love really meant.
I’d never feel this inner peace;
I couldn’t be content.

If not for you, I’d never have
The pleasures of romance.
I’d miss the bliss, the craziness,
Of love’s sweet, silly dance.

I have to feel your tender touch;
I have to hear your voice;
No other one could take your place;
You’re it; I have no choice.

If not for you, I’d be adrift;
I don’t know what I’d do;
I’d be searching for my other half,
Incomplete, if not for you.

By Joanna Fuchs

Title: If Not For You || True love poem English