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Gehri shanti da parkop || zindai shayari || punjabi ghaint shayari
jithe mat ni mildi othe bahute raaz nahi daside
sap de dasn baad hi jehar de rang da pata lagda e
kise de kehn naal ni usdaad ban jaida, andar hankaar nu khatam karna painda hai
aaklan koi v bina jaankari de nahio karida, khatri andar gehri shaanti da parkop hunda ae
ਜਿੱਥੇ ਮੱਤ ਨੀ ਮਿਲਦੀ ਉਥੇ ਬਹੁਤੇ ਰਾਜ਼ ਨਹੀਂ ਦੱਸੀਦੇ,
ਸੱਪ ਦੇ ਡੱਸਣ ਬਾਅਦ ਹੀ ਜ਼ਹਿਰ ਦੇ ਰੰਗ ਦਾ ਪੱਤਾ ਲੱਗਦਾ ਏ।
ਕਿੱਸੇ ਦੇ ਕਹਿਣ ਨਾਲ਼ ਨੀ ਉਸਤਾਦ ਬਣ ਜਾਈਦਾ, ਅੰਦਰ ਹੰਕਾਰ ਨੂੰ ਖੱਤਮ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ,
ਆਕਲਣ ਕੋਈ ਵੀ ਬਿਨਾਂ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇ ਨਹੀਓ ਕਰੀਦਾ ਖੱਤਰੀ ਅੰਦਰ ਗਹਿਰੀ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦਾ ਪ੍ਰਕੋਪ ਹੁੰਦਾ ਏ
💯❤️ ਖੱਤਰੀ
Title: Gehri shanti da parkop || zindai shayari || punjabi ghaint shayari
Kuch Log Sudhar Nahi Sakte
कुछ लोग सुधर नहीं सकते हैं
हर किसी के बारे में बुरा ही बकते है
इन्हे किसी दूसरे की तारीफ करना आता नहीं हैं
इन्हे अपने खून के अलावा(सग्गे रिश्ते ) और कोई भाता नहीं हैं
यह लोग खुदको भगवान समझते हैं
भगवन खुद इन्हे शैतान समझते हैं
यह लोग इनके सग्गे रिश्तों में भी आग लगा देते हैं
अच्छे खासे परिवार में दाग लगा देते हैं
इनकी सोच ज़मीन में और सिर आसमान में रहता हैं
इन्हे कदर घर के बेटे की नहीं बल्कि उसकी है जो विदेश में बैठा हैं
यह लोग किसी दुसरे को आगे बढ़ता देख नहीं पाएंगे
अगर कोई आगे बढ़ गया तो यह चैन से बैठ नहीं पाएंगे
दुसरो को बुरा खुदको अच्छा दिखाना ही इन्हे सिर्फ आता हैं
इन्हे अपने खून के अलावा और कोई नहीं भाता हैं
इनमे कोई कमी नहीं ऐसा इनको लगता है
गिने चुने लोगो के अलावा इन्हे हर कोई खटकता है
किसी के लिए कुछ अच्छा ये कर नहीं सकते हैं
इन्हे जो पसंद है उसे सिर पर चढ़ा सकते हैं
लेकिन इनके पैर दबाने वालो को यह पैर तक ही रखते हैं
कुछ लोग कभी सुधर नहीं सकते हैं ।