बड़ा खुदगर्ज इश्क था तुम्हारा
खुद में ही सिमट कर रह गया
रोया मैं भी तेरे बाद बोहोत
फिर चुप चाप कही बैठ गया
और दिल हल्का हुआ तेरे बारे में बोलकर
जब एक दिन में यारो की महफिल में बैठ गया
Enjoy Every Movement of life!
बड़ा खुदगर्ज इश्क था तुम्हारा
खुद में ही सिमट कर रह गया
रोया मैं भी तेरे बाद बोहोत
फिर चुप चाप कही बैठ गया
और दिल हल्का हुआ तेरे बारे में बोलकर
जब एक दिन में यारो की महफिल में बैठ गया
आसमां छूने की ख्वाहिश किसकी नहीं होती,
बस फर्क इतना है, हर किसी की पूरी नहीं होती,
पूरी होती है उनकी, जो पसीने की बूंदे नही गिनते ,
अब दुआओं में मेहनत जितनी बरकत कहां होती,
किसने कहा दुआओं से सब हासिल हो जाता है,
ऐसा कुछ होता तो आज किसी की हसरतें बाकी ना होती,
मसला हसरतों का है इसीलिए मेहनत की तालीम सीखी है,
कुछ तो कमी है खुदा मेरे, जो दुआएं आज थोड़ी फीकी है...