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BULLEH SHAH GAL TAHIO MUKDI || Very True Lines

Bulle shah True lines || Bulleh shah gal tahio mukdi jadon me nu dilon gawaye

Bulleh shah gal tahio mukdi
jadon me nu dilon gawaye

“Makke Gaye Gal Mukdi nai” Shayari in Punjabi font and English translation:
“Makke Gaye” is the most popular shayari of “Baba Bulleh Shah“. Here are the lines in Punjabi (Gurmukhi) and in English translation:

Makkay gayaan, gal mukdee naheen
Pawain sow sow jummay parrh aaeeyGanga gayaan, gal mukdee naheen
Pawain sow sow gotay khaeeay

Gaya gayaan gal mukdee naheen
Pawain sow sow pand parrhaeeay

Bulleh Shah gal taeeyon mukdee
Jadon May nu dillon gawaeeay

Lyrics in Gurmukhi:
“ਮੱਕੇ” ਗਿਆ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਨਾਹੀਂ
ਭਾਵੇਂ ਸੌ ਸੌ ਜੁੰਮੇ ਪੜ ਆਈਏ,”ਗੰਗਾ” ਗਿਆ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਨਾਹੀਂ
ਭਾਵੇਂ ਸੌ ਸੌ ਗੋਤੇ ਖਾਈਏ,

“ਗਯਾ” ਗਿਆ ਗੱਲ ਮੁੱਕਦੀ ਨਾਹੀਂ
ਭਾਵੇਂ ਸੌ ਸੌ ਪੰਡ ਪੜਾਈਏ,

“ਬੁੱਲੇ ਸ਼ਾਹ” ਗੱਲ ਤਾਹੀਓ ਮੁੱਕਦੀ
ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਨੂੰ ਦਿਲੋਂ ਗਵਾਈਏ

Lyrics in English:
Going to Makkah is not the ultimate
Even if hundreds of prayers are offeredGoing to River Ganges is not the ultimate
Even if hundreds of cleansing (Baptisms) are done

Going to Gaya is not the ultimate
Even if hundreds of worships are done

Bulleh Shah the ultimate is
When the “I” is removed from the heart!


Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


meri kami da v sajjna tainu ehsaas howe by Dukhi hirda

meri kami da v sajjna tainu ehsaas howe
jadon me tere muhre aawa taan agge meri laash howe

ਮੇਰੀ ਕਮੀਂ ਦਾ ਵੀ ਸਜਣਾ ਤੈਨੂੰ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਵੇ
ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਮੁਹਰੇ ਆਵਾਂ ਤਾਂ ਅੱਗੇ ਮੇਰੀ ਲਾਸ਼
ਹੋਵੇ 😥

Title: meri kami da v sajjna tainu ehsaas howe by Dukhi hirda


अकबर का साला || akbar story

अकबर का साला हमेशा से ही बीरबल की जगह लेना चाहता था। अकबर जानते थे कि बीरबल की जगह ले सके ऐसा बुद्धिमान इस संसार में कोई नहीं है। फिर भी जोरू के भाई को वह सीधी ‘ना’ नहीं बोल सकते थे। ऐसा कर के वह अपनी लाडली बेगम की बेरुखी मोल नहीं लेना चाहते थे। इसीलिए उन्होने अपने साले साहब को एक कोयले से भरी बोरी दे दी और कहा कि-

जाओ और इसे हमारे राज्य के सबसे मक्कार और लालची सेठ – सेठ दमड़ीलाल को बेचकर दिखाओ , अगर तुम यह काम कर गए तो तुम्हें बीरबल की जगह वज़ीर बना दूंगा।

अकबर की इस अजीब शर्त को सुन कर साला अचंभे में पड़ गया। वह कोयले की बोरी ले कर चला तो गया। पर उसे पता था कि वह सेठ किसी की बातो में नहीं आने वाला ऊपर से वह उल्टा उसे ही चूना लगा देगा। हुआ भी यही सेठ दमड़ीलाल ने कोयले की बोरी के बदले एक ढेला भी देने से इनकार कर दिया।
साला अपना सा मुंह लेकर महल वापस लौट आया और अपनी हार स्वीकार कर ली.
अब अकबर ने वही काम बीरबल को करने को कहा।
बीरबल कुछ सोचे और फिर बोले कि सेठ दमड़ीलाल जैसे मक्कार और लालची सेठ को यह कोयले की बोरी क्या मैं सिर्फ कोयले का एक टुकड़ा ही दस हज़ार रूपये में बेच आऊंगा। यह बोल कर वह तुरंत वहाँ से रवाना हो गए।
सबसे पहले उसने एक दरज़ी के पास जा कर एक मखमली कुर्ता सिलवाया। हीरे-मोती वाली मालाएँ गले में डाली। महंगी जूती पहनी और कोयले को बारीक सुरमे जैसा पिसवा लिया।

फिर उसने पिसे कोयले को एक सुरमे की छोटी चमकदार डिब्बी में भर लिया। इसके बाद बीरबल ने अपना भेष बदल लिया और एक मेहमानघर में रुक कर इश्तिहार दे दिया कि बगदाद से बड़े शेख आए हैं। जो करिश्माई सुरमा बेचते हैं। जिसे आँखों में लगाने से मरे हुए पूर्वज दिख जाते हैं और यदि उन्होंने कहीं कोई धन गाड़ा है तो उसका पता बताते हैं। यह बात शहर में आग की तरह फ़ैली।

सेठ दमड़ीलाल को भी ये बात पता चली। उसने सोचा ज़रूर उसके पूर्वजों ने कहीं न कहीं धन गाड़ा होगा। उसने तुरंत शेख बने बीरबल से सम्पर्क किया और सुरमे की डिब्बी खरीदने की पेशकश की। शेख ने डिब्बी के 20 हज़ार रुपये मांगे और मोल-भाव करते-करते 10 हज़ार में बात तय हुई।
पर सेठ भी होशियार था, उसने कहा मैं अभी तुरंत ये सुरमा लगाऊंगा और अगर मुझे मेरे पूर्वज नहीं दिखे तो मैं पैसे वापस ले लूँगा।
बीरबल बोला, “बिलकुल आप ऐसा कर सकते हैं, चलिए शहर के चौराहे पर चलिए और वहां इसे जांच लीजिये।”
सुरमे का चमत्कार देखने के लिए भीड़ इकठ्ठा हो गयी।

तब बीरबल ने ऊँची आवाज़ में कहा, “ये सेठ अभी ये चमत्कारी सुरमा लगायेंगे और अगर ये उन्ही की औलाद हैं जिन्हें ये अपना माँ-बाप समझते हैं तो इन्हें इनके पूर्वज दिखाई देंगे और गड़े धन के बारे में बताएँगे। लेकिन अगर आपके माँ-बाप में से किसी ने भी बेईमानी की होगी और आप उनकी असल औलाद नहीं होंगे तो आपको कुछ भी नहीं दिखेगा।
और ऐसा कहते ही बीरबल ने सेठ की आँखों में सुरमा लगा दिया।

फिर क्या था, सिर खुजाते हुए सेठ ने आँखें खोली। अब दिखना तो कुछ था नहीं, पर सेठ करे भी तो क्या करे!
अपनी इज्ज़त बचाने के लिए सेठ ने दस हज़ार बीरबल के हाथ थमा दिये। और मुंह फुलाते हुए आगे बढ़ गए।
बीरबल फ़ौरन अकबर के पास पहुंचे और रुपये थमाते हुए सारी कहानी सुना दी।

अकबर का साला बिना कुछ कहे अपने घर लौट गया। और अकबर-बीरबल एक दूसरे को देख कर मंद-मंद मुसकाने लगे। इस किस्से के बाद फिर कभी अकबर के साले ने बीरबल का स्थान नहीं मांगा।

Title: अकबर का साला || akbar story