उनके बारे में सोचूं, तो सोच में सुबह से शाम करदूँ..
मेरी दोस्ती कुबूल है उन्हें, क्या ये ज़िक्र शरेआम करदूँ..
अभी कहदूँ या रुकुं थोडा, जो मेरे दिल में बातें हैं..?
मेरा बस चले तो अपनी मुस्कान का कुछ हिस्सा, मैं उनके नाम करदूँ..
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उनके बारे में सोचूं, तो सोच में सुबह से शाम करदूँ..
मेरी दोस्ती कुबूल है उन्हें, क्या ये ज़िक्र शरेआम करदूँ..
अभी कहदूँ या रुकुं थोडा, जो मेरे दिल में बातें हैं..?
मेरा बस चले तो अपनी मुस्कान का कुछ हिस्सा, मैं उनके नाम करदूँ..
ये और बात है, के उसने भुला दिया हमें
हमसे उसे आज तक, भुलाया नहीं गया।।
आंसू ना बहाए उसने, तो ये जान लीजिए
इश्क में उसे कभी, आजमाया नहीं गया।।
चाहते तो हम भी, मिल जाता बोहोत कुछ
हमसे ही ये सर कभी झुकाया नहीं गया।।
इश्क के सफ़र में, बोहोत दर्द है, थकन है
जाने क्यूं हमें ये , बताया नहीं गया।।