ab apane zakhm dikhaoon kise aur kise nahin,
begaane samajhate nahin aur apano ko dikhate nahin…
अब अपने ज़ख़्म दिखाऊँ किसे और किसे नहीं,
बेगाने समझते नहीं और अपनो को दिखते नहीं…
ab apane zakhm dikhaoon kise aur kise nahin,
begaane samajhate nahin aur apano ko dikhate nahin…
अब अपने ज़ख़्म दिखाऊँ किसे और किसे नहीं,
बेगाने समझते नहीं और अपनो को दिखते नहीं…

किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है ,
अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है ,
खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा ,
खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है 🥀
किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी कसैली बात लिखूं ,
मैं सच लिखूं के अपने हालत लिखूं ,
कैसे लिखूं मैं चांदनी रातें ,
जब गरम हो रेत तो कैसे मैं बरसात लिखूं .✨
सभी नग्मे साज़ में गाये नहीं जाते ,
सभी लोग महफ़िल में बुलाये नहीं जाते ,
कुछ पास रह कर भी याद नहीं आते ,
कुछ दूर रह कर भी भूलाये नहीं जाते!❤️