Aksar tere takk aa ke mukki janda e
Kise manzil di khwahish ch meriyan socha da safar..!!
ਅਕਸਰ ਤੇਰੇ ਤੱਕ ਆ ਕੇ ਮੁੱਕ ਜਾਂਦਾ ਏ
ਕਿਸੇ ਮੰਜ਼ਿਲ ਦੀ ਖੁਆਹਿਸ਼ ‘ਚ ਮੇਰੀਆਂ ਸੋਚਾਂ ਦਾ ਸਫ਼ਰ..!!
Aksar tere takk aa ke mukki janda e
Kise manzil di khwahish ch meriyan socha da safar..!!
ਅਕਸਰ ਤੇਰੇ ਤੱਕ ਆ ਕੇ ਮੁੱਕ ਜਾਂਦਾ ਏ
ਕਿਸੇ ਮੰਜ਼ਿਲ ਦੀ ਖੁਆਹਿਸ਼ ‘ਚ ਮੇਰੀਆਂ ਸੋਚਾਂ ਦਾ ਸਫ਼ਰ..!!
बादशाह अकबर की यह आदत थी कि वह अपने दरबारियों से तरह-तरह के प्रश्न किया करते थे। एक दिन बादशाह ने दरबारियों से प्रश्न किया, “अगर सबकी दाढी में आग लग जाए, जिसमें मैं भी शामिल हूं तो पहले आप किसकी दाढी की आग बुझायेंगे?”
“हुजूर की दाढी की” सभी सभासद एक साथ बोल पड़े।
मगर बीरबल ने कहा – “हुजूर, सबसे पहले मैं अपनी दाढी की आग बुझाऊंगा, फिर किसी और की दाढी की ओर देखूंगा।”
बीरबल के उत्तर से बादशाह बहुत खुश हुए और बोले- “मुझे खुश करने के उद्देश्य से आप सब लोग झूठ बोल रहे थे। सच बात तो यह है कि हर आदमी पहले अपने बारे में सोचता है।”