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Rabb yaad aunda e || Punjabi poetry || true but sad shayari

Jadon thukra ke eh duniya moohre aa ke hassdi e
Mzak bna me staundi te lakhan tahne kassdi e
Jagg hunda e khilaf te nafrat varsaunda e
Fir tutte hoye dil nu bas rabb yaad aunda e..!!

Jadon lagda pta ke ethe koi nhi apna
Jadon hunda ehsas koi kareeb nhi japna
Vajud khud da e ki khayal eh staunda e
Fir tutte hoye dil nu bas rabb yaad aunda e..!!

Bahaan fadiyan ne jhuth diyan kaurha sach pta lagde
Vekhan rondeyan nu hass ke eh rahass pta lagde
Ghire hoye kyu dhokheyan ch jad har saah kurlaunda e
Fir tutte hoye dil nu bas rabb yaad aunda e..!!

Sahwein hor te pith piche hor bne firde
Bahron khare te dilon kyu chor bne firde
Jad hnju akhiyan da rooh kise di nu bhaunda e
Fir tutte hoye dil nu bas rabb yaad aunda e..!!

Lainde Na Saar matlab kadd tur jande ne
Dekh duniya da haal rooh de rukh murjhande ne
Jadon de ke koi jakham utte loon shidkaunda e
Fir tutte hoye dil nu bas rabb yaad aunda e..!!

Kyu pathar dil eh zalim e Duniya
Kyu dil ne khuda shadd ehnu sach chuneya
Hun fire bhatkda te rehnda pachtaunda e
Taan hi tutte hoye dil nu hun rabb yaad aunda e..!!

ਜਦੋਂ ਠੁਕਰਾ ਕੇ ਇਹ ਦੁਨੀਆਂ ਮੂਹਰੇ ਆ ਕੇ ਹੱਸਦੀ ਏ
ਮਜ਼ਾਕ ਬਣਾ ਕੇ ਸਤਾਉਂਦੀ ਤੇ ਲੱਖਾਂ ਤਾਹਨੇ ਕੱਸਦੀ ਏ
ਜੱਗ ਹੁੰਦਾ ਏ ਖਿਲਾਫ ਤੇ ਨਫ਼ਰਤ ਵਰਸਾਉਂਦਾ ਏ
ਫ਼ਿਰ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਦਿਲ ਨੂੰ ਬੱਸ ਰੱਬ ਯਾਦ ਆਉਂਦਾ ਏ..!!

ਜਦੋਂ ਲਗਦੈ ਪਤਾ ਕੇ ਇੱਥੇ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਆਪਣਾ
ਜਦੋਂ ਹੁੰਦਾ ਅਹਿਸਾਸ ਕੋਈ ਕਰੀਬ ਨਹੀਂ ਜਾਪਣਾ
ਵਜ਼ੂਦ ਖ਼ੁਦ ਦਾ ਏ ਕੀ ਖ਼ਿਆਲ ਇਹ ਸਤਾਉਂਦਾ ਏ
ਫ਼ਿਰ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਦਿਲ ਨੂੰ ਬੱਸ ਰੱਬ ਯਾਦ ਆਉਂਦਾ ਏ..!!

ਬਾਹਾਂ ਫੜੀਆਂ ਨੇ ਝੂਠ ਦੀਆਂ ਕੌੜਾ ਸੱਚ ਪਤਾ ਲਗਦੈ
ਵੇਖਣ ਰੋਂਦਿਆਂ ਨੂੰ ਹੱਸ ਕੇ ਇਹ ਰਹੱਸ ਪਤਾ ਲਗਦੈ
ਘਿਰੇ ਹੋਏ ਕਿਉਂ ਧੋਖਿਆਂ ‘ਚ ਜਦ ਹਰ ਸਾਹ ਕੁਰਲਾਉਂਦਾ ਏ
ਫ਼ਿਰ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਦਿਲ ਨੂੰ ਬੱਸ ਰੱਬ ਯਾਦ ਆਉਂਦਾ ਏ..!!

ਸਾਹਵੇਂ ਹੋਰ ਤੇ ਪਿੱਠ ਪਿੱਛੇ ਹੋਰ ਬਣੇ ਫਿਰਦੇ
ਬਾਹਰੋਂ ਖਰੇ ਤੇ ਦਿਲੋਂ ਕਿਉਂ ਚੋਰ ਬਣੇ ਫਿਰਦੇ
ਜਦ ਹੰਝੂ ਅੱਖੀਆਂ ਦਾ ਰੂਹ ਕਿਸੇ ਦੀ ਨੂੰ ਭਾਉਂਦਾ ਏ
ਫ਼ਿਰ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਦਿਲ ਨੂੰ ਬੱਸ ਰੱਬ ਯਾਦ ਆਉਂਦਾ ਏ..!!

ਲੈਂਦੇ ਨਾ ਸਾਰ ਮਤਲਬ ਕੱਢ ਤੁਰ ਜਾਂਦੇ ਨੇ
ਦੇਖ ਦੁਨੀਆਂ ਦਾ ਹਾਲ ਰੂਹ ਦੇ ਰੁੱਖ ਮੁਰਝਾਂਦੇ ਨੇ
ਜਦੋਂ ਦੇ ਕੇ ਕੋਈ ਜਖ਼ਮ ਉੱਤੇ ਲੂਣ ਛਿੜਕਾਉਂਦਾ ਏ
ਫ਼ਿਰ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਦਿਲ ਨੂੰ ਬੱਸ ਰੱਬ ਯਾਦ ਆਉਂਦਾ ਏ..!!

ਕਿਉਂ ਪੱਥਰ ਦਿਲ ਇਹ ਜ਼ਾਲਿਮ ਏ ਦੁਨੀਆਂ
ਕਿਉਂ ਦਿਲ ਨੇ ਖੁਦਾ ਛੱਡ ਇਹਨੂੰ ਸੱਚ ਚੁਣਿਆ
ਹੁਣ ਫਿਰੇ ਇਹ ਭਟਕਦਾ ਤੇ ਰਹਿੰਦਾ ਪਛਤਾਉਂਦਾ ਏ
ਤਾਂ ਹੀ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਦਿਲ ਨੂੰ ਹੁਣ ਰੱਬ ਯਾਦ ਆਉਂਦਾ ਏ..!!

Title: Rabb yaad aunda e || Punjabi poetry || true but sad shayari

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


You are ❤️ || love quotes

You are a delicate carving of my food.

Title: You are ❤️ || love quotes


Ishwar ascha hi karta hai || akbar birbal kahani

बीरबल एक ईमानदार तथा धर्म-प्रिय व्यक्ति था। वह प्रतिदिन ईश्वर की आराधना बिना-नागा किया करता था। इससे उसे नैतिक व मानसिक बल प्राप्त होता था। वह अक्सर कहा करता था कि “ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है, कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि ईश्वर हम पर कृपादृष्टि नहीं रखता, लेकिन ऐसा होता नहीं। कभी-कभी तो उसके वरदान को भी लोग शाप समझने की भूल कर बैठते हैं। वह हमको थोड़ी पीड़ा इसलिए देता है ताकि बड़ी पीड़ा से बच सकें।”

एक दरबारी को बीरबल की ऐसी बातें पसंद न आती थीं। एक दिन वही दरबारी दरबार में बीरबल को संबोधित करता हुआ बोला, ‘‘देखो, ईश्वर ने मेरे साथ क्या किया। कल शाम को जब मैं जानवरों के लिए चारा काट रहा था तो अचानक मेरी छोटी उंगली कट गई। क्या अब भी तुम यही कहोगे कि ईश्वर ने मेरे लिए यह अच्छा किया है ?’’

कुछ देर चुप रहने के बाद बोला बीरबल, ‘‘मेरा अब भी यही विश्वास है क्योंकि ईश्वर जो कुछ भी करता है मनुष्य के भले के लिए ही करता है।’’

सुनकर वह दरबारी नाराज हो गया कि मेरी तो उंगली कट गई और बीरबल को इसमें भी अच्छाई नजर आ रही है। मेरी पीड़ा तो जैसे कुछ भी नहीं। कुछ अन्य दरबारियों ने भी उसके सुर में सुर मिलाया।

तभी बीच में हस्तक्षेप करते हुए बादशाह अकबर बोले, ‘‘बीरबल हम भी अल्लाह पर भरोसा रखते हैं, लेकिन यहां तुम्हारी बात से सहमत नहीं। इस दरबारी के मामले में ऐसी कोई बात नहीं दिखाई देती जिसके लिए उसकी तारीफ की जाए।’’

बीरबल मुस्कराता हुआ बोला, ’’ठीक है जहांपनाह, समय ही बताएगा अब।’’

तीन महीने बीत चुके थे। वह दरबारी, जिसकी उंगली कट गई थी, घने जंगल में शिकार खेलने निकला हुआ था। एक हिरन का पीछा करते वह भटककर आदिवासियों के हाथों में जा पड़ा। वे आदिवासी अपने देवता को प्रसन्न करने के लिए मानव बलि में विश्वास रखते थे। अतः वे उस दरबारी को पकड़कर मंदिर में ले गए, बलि चढ़ाने के लिए। लेकिन जब पुजारी ने उसके शरीर का निरीक्षण किया तो हाथ की एक उंगली कम पाई।

‘‘नहीं, इस आदमी की बलि नहीं दी जा सकती।’’ मंदिर का पुजारी बोला, ‘‘यदि नौ उंगलियों वाले इस आदमी को बलि चढ़ा दिया गया तो हमारे देवता बजाय प्रसन्न होने के क्रोधित हो जाएंगे, अधूरी बलि उन्हें पसंद नहीं। हमें महामारियों, बाढ़ या सूखे का प्रकोप झेलना पड़ सकता है। इसलिए इसे छोड़ देना ही ठीक होगा।’’

और उस दरबारी को मुक्त कर दिया गया।

अगले दिन वह दरबारी दरबार में बीरबल के पास आकर रोने लगा।

तभी बादशाह भी दरबार में आ पहुंचे और उस दरबारी को बीरबल के सामने रोता देखकर हैरान रह गए।

‘‘तुम्हें क्या हुआ, रो क्यों रहे हो ?’’ अकबर ने सवाल किया।

जवाब में उस दरबारी ने अपनी आपबीती विस्तार से कह सुनाई। वह बोला, ‘‘अब मुझे विश्वास हो गया है कि ईश्वर जो कुछ भी करता है, मनुष्य के भले के लिए ही करता है। यदि मेरी उंगली न कटी होती तो निश्चित ही आदिवासी मेरी बलि चढ़ा देते। इसीलिए मैं रो रहा हूं, लेकिन ये आंसू खुशी के हैं। मैं खुश हूं क्योंकि मैं जिन्दा हूं। बीरबल के ईश्वर पर विश्वास को संदेह की दृष्टि से देखना मेरी भूल थी।’’

अकबर ने मंद-मंद मुस्कराते हुए दरबारियों की ओर देखा, जो सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। अकबर को गर्व महसूस हो रहा था कि बीरबल जैसा बुद्धिमान उसके दरबारियों में से एक है।

Title: Ishwar ascha hi karta hai || akbar birbal kahani