beaabaroo hoke mahephil se nikal gaye ham,
kisee aur kee aabaroo kee khaatir…
बेआबरू होके महेफिल से निकल गये हम,
किसी और की आबरू की खातिर…
beaabaroo hoke mahephil se nikal gaye ham,
kisee aur kee aabaroo kee khaatir…
बेआबरू होके महेफिल से निकल गये हम,
किसी और की आबरू की खातिर…
आम आदमी प्यार से पढ़ेंगे अगर सरल भाषा में लिखा है।
कठिन भाषा सिर्फ जनता को नहीं, बल्कि उनके सोच को भी घायल करते है।
………………………………
छोटा छोटा गलतियां अगर शुरू से रोका नहीं गया, तो एक दिन बड़ा अन्याय जन्म लेगा।
बच्चो को डांटना प्यार से, ज्यादा डांटोगे तब भी बुरा होगा।
……………………………………
अपने इंसानियत को ढूंढ ते हुए इंसान थक गए।
कम से कम अपने दिल को तो पूछो, ज्यादा दिमाग न लगाए।
…………………………….
मैं क्या हु और क्या नहीं हु, वो मुझे पाता नहीं।
मैं सिर्फ मैं हु, सूरज की तरह सही।
………………………………..
थोड़ा थोड़ा करके काम करो रोज़, एक दिन भी न बैठो, सफल होगे।
एकदिन में सब काम करके, पूरा महीने बैठे रहोगे, तो जरूर मरोगे।
…………………………………………..
मादा हाथी अपनी बच्चा को खो के पागलपन करते है।
अपना मन भी उसकी तरह निर्बोध हैं।
……………………………………….
रोज़ रोज़ एक एक ईंट लाके गाँठना, एक दिन छूट न जाये।
एक साल के बाद देखना, अपना घर बन गए।
……………………………………………………….
बिलकुल शांत हो जायो, गुस्से में न रहो।
शांति लाता है समृद्धि और गुस्सा खा जाता है इंसान का छांव।
……………………………………..
ध्यान सबसे बड़ा व्यायाम है।
अगर मन सही है तो शरीर भी सही काम करता है।
………………………………………………..
बात पत्नी की तरह- हसती है, रुलाती भी है।
छाया पति की तरह और काया प्यार होता है।
……………………………………………………
अपना ज़िन्दगी अपने हाथों में।
दिल से सम्हालना, दिमाग लगाके खेलना, सफलता किस्मत में।
………………………………………………
कम जानकारी है, तो कोई दिक्कत नहीं।
ज्यादा जान गए तो, जरूर फॅसोगे दिक्कत में यही।
………………………………………..
जितना पढ़ो, सोचो उतना।
नहीं तो इंसान बनेगा रोबोट, दबी हुई भावना।
………………………………………………..
सब का अधिकार में मुझे बिश्वास है।
लेकिन अनाधिकार चर्चे का अधिकार में मुझे नफरत है।
……………………………………..
मर्यादा एक ऐसा चीज है, जो खोते है, वो शेर की तरह शिकारी बनते है।
जिसे मर्यादा मिलते है, वो असामाजिक निति को छोड़ कर सामाजिक बनते है।
……………………………………..
जहा मर्यादा नहीं है, उहा मत रहो यार।
मर्यादा पानी की तरह, मरू में कौन बिठाते है घर!