jaroorat si pyaar di
yaar guwaach ho gaye
labhde labhde dil da haani
asi apne aap ton guwaach gaye
ਜ਼ਰੂਰਤ ਸੀ ਪਿਆਰ ਦੀ
ਯਾਰ ਗੁਆਚ ਹੋ ਗਏ
ਲੱਭਦੇ ਲੱਭਦੇ ਦਿਲ ਦਾ ਹਾਣੀ
ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਤੋਂ ਗੁਆਚ ਹੋ ਗਏ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ
jaroorat si pyaar di
yaar guwaach ho gaye
labhde labhde dil da haani
asi apne aap ton guwaach gaye
ਜ਼ਰੂਰਤ ਸੀ ਪਿਆਰ ਦੀ
ਯਾਰ ਗੁਆਚ ਹੋ ਗਏ
ਲੱਭਦੇ ਲੱਭਦੇ ਦਿਲ ਦਾ ਹਾਣੀ
ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਤੋਂ ਗੁਆਚ ਹੋ ਗਏ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ
रख सकों तो एक निशानी हूँ मैं खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं रोक ना पाए जिसको ये सारी दुनिया वो एक बूंद आँख का पानी हूँ मैं... सबको प्यार देने की आदत है हमें अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमें कितना भी गहरा जख़्म दे कोई उतना ही ज्यादा मुस्कुरानें की आदत है हमें.. इस अजनबी दुनिया में अकेला ख़्वाब हूँ मैं सवालों से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं जो समझ ना सके मुझे उनके लिए कौन जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं.. आँख से देखोगे तो खुश पाओगे दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं अगर रख सकों तो एक निशानी हूं मैं खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं...
अकबर बादशाह को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के सेठों से कहा-
“आज से तुम लोगों को पहरेदारी करनी पड़ेगी।”
सुनकर सेठ घबरा गए और बीरबल के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।
बीरबल ने उन्हें हिम्मत बँधायी,
“तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पायजामों को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय में नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।”
उधर बादशाह भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। सेठों का यह निराला स्वांग देखकर बादशाह पहले तो हँसे, फिर बोले-“यह सब क्या है ?”
सेठों के मुखिया ने कहा-
“जहाँपनाह, हम सेठ जन्म से गुड़ और तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया कहकर क्यों पुकारते?”
बादशाह अकबर बीरबल की चाल समझ गए और अपना हुक्म वापस ले लिया।