Thoda sa chhup chhup kar khud ke liye bhi ji liya karo
koi nahi kahega k thak gaye ho araam karo
थोड़ा सा ..छुप छुप कर खुद के लिये भी जी लिया करो ..
कोई नही कहेगा कि थक गये हो आराम करों..
Thoda sa chhup chhup kar khud ke liye bhi ji liya karo
koi nahi kahega k thak gaye ho araam karo
थोड़ा सा ..छुप छुप कर खुद के लिये भी जी लिया करो ..
कोई नही कहेगा कि थक गये हो आराम करों..
Just when I thought I’ve learned to deal with your absence,
your memories flashbacked in front of me.
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
मैं अब के साल परिंदों का दिन मनाऊँगा
मिरी क़रीब के जंगल से बात हो गई है
बिछड़ के तुझ से न ख़ुश रह सकूँगा सोचा था
तिरी जुदाई ही वज्ह-ए-नशात हो गई है
बदन में एक तरफ़ दिन तुलूअ’ मैं ने किया
बदन के दूसरे हिस्से में रात हो गई है
मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है
रहेगा याद मदीने से वापसी का सफ़र
मैं नज़्म लिखने लगा था कि ना’त हो गई है