बड़ा खुदगर्ज इश्क था तुम्हारा
खुद में ही सिमट कर रह गया
रोया मैं भी तेरे बाद बोहोत
फिर चुप चाप कही बैठ गया
और दिल हल्का हुआ तेरे बारे में बोलकर
जब एक दिन में यारो की महफिल में बैठ गया
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बड़ा खुदगर्ज इश्क था तुम्हारा
खुद में ही सिमट कर रह गया
रोया मैं भी तेरे बाद बोहोत
फिर चुप चाप कही बैठ गया
और दिल हल्का हुआ तेरे बारे में बोलकर
जब एक दिन में यारो की महफिल में बैठ गया
Tbaadle kar raha hai ishq bhi bas waqt dekhkar
aur us heer ko fir koi raanjha na mila
तबादले कर रहा है इश्क भी बस वक्त देखकर,
और, उस हीर को फिर कोई रांझा ना मिला...