बड़ा खुदगर्ज इश्क था तुम्हारा
खुद में ही सिमट कर रह गया
रोया मैं भी तेरे बाद बोहोत
फिर चुप चाप कही बैठ गया
और दिल हल्का हुआ तेरे बारे में बोलकर
जब एक दिन में यारो की महफिल में बैठ गया
बड़ा खुदगर्ज इश्क था तुम्हारा
खुद में ही सिमट कर रह गया
रोया मैं भी तेरे बाद बोहोत
फिर चुप चाप कही बैठ गया
और दिल हल्का हुआ तेरे बारे में बोलकर
जब एक दिन में यारो की महफिल में बैठ गया
Zaroori nahi ke jajhbaat kalam naal hi likhe jaan
khali panne v bahut byaan kar jande ne
ਜ਼ਰੂਰੀ ਨਹੀਂ ਕਿ ਜਜਬਾਤ ਕਲਮ ਨਾਲ ਹੀ ਲਿਖੇ ਜਾਣ,
ਖਾਲੀ ਪੰਨੇ ਵੀ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਬਿਆਨ ਕਰ ਜਾਂਦੇ ਨੇਂ
Naseeb Apna Hai Ruthe Hue Sanam Ki Tarah
Agar Khushi Kabhi Milti Bhi Hai To Gham Ki Tarah.
Rekhta Pataulvi