
ishq karke v aashiq kalla ae
Arsh Teja
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मेरी एक गली,उसकी गली से जुड़ी है
मेरे पाव नहीं मुड़े, यही सड़क मुड़ी है
मैं मुस्कुराकर,बोल पड़ा इन दोस्तों से
देखो मेरी ज़न्नत, खिड़की पर खड़ी है
उतने ऊपर, मेरा खुदा भी नहीं दोस्त
उनकी कलाई पे जितनी,चूड़ी चड़ी है
मेरे पूरे हुज़रे पर, साया करती है वो
शहर में उनकी बिल्डिंग इतनी बड़ी है