Likh likh ke benaam hoe
bulaa to haase gumnaam hoye
ਲਿਖ ਲਿਖ ਕੇ ਬੇਨਾਮ ਹੋਏ
ਬੁੱਲਿਆ ਤੋਂ ਹਾਸੇ ਗੁਮਨਾਮ ਹੋਏ
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Likh likh ke benaam hoe
bulaa to haase gumnaam hoye
ਲਿਖ ਲਿਖ ਕੇ ਬੇਨਾਮ ਹੋਏ
ਬੁੱਲਿਆ ਤੋਂ ਹਾਸੇ ਗੁਮਨਾਮ ਹੋਏ
करवट बदलकर सोने की कोशिश की, नींद फिर भी ना आई..
रात कमरे में बस हम दोनो थे, मैं और मेरी तनहाई..
उसे पसंद नहीं मुझसे दूर जाना, और मैने कभी वो पास ना बुलाई..
आखिर में बैठकर बातें की उससे, और जान पहचान बढ़ाई..
उसने कहा साथ उसे अच्छा लगता है मेरा, पर मुझे वो रास न आई..
समझाया उसे दूर होजा मुझसे, इतनी सी बात भी उसे समझ ना आई..
आखिर में अपनाना पड़ा उसे, वो तो मुझे छोड़ ना पाई..
जब अपनाकर उसे, आंखें बंद की मैने, तब जाकर कहीं मुझे नींद आई….