Vo shama ki mehfil kya
Jisme dil khaak na ho
Maza to tab hai chahat ka
Jab dil to jale par rakh na ho❤️🔥
वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो…❤️🔥
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Vo shama ki mehfil kya
Jisme dil khaak na ho
Maza to tab hai chahat ka
Jab dil to jale par rakh na ho❤️🔥
वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो…❤️🔥
तुझे देखने की ख्वाहिश ले के घर से तो निकल पड़ता हूँ…
यही सोच के कि तू आज मिलेगी जरूर…
पर इस दिल को क्या पता है… कि तू उसे भूल चुकी हैं…
यूँ तो तेरा हर बार का मुस्कुराना इन
हवाओं और फिज़ाओ में बसा हैं…
ये हवा जब भी तुझे छूकर गुजरती है…
ना चाहते हुए भी तू याद आ ही जाती है।