
Enjoy Every Movement of life!
Yun fasle na badha marz aur ilaz ke bich
Mai kahi mar na jau kal aur aaj ke bich🍁
यूँ फ़ासले न बढ़ा मर्ज और इलाज के बीच
मैं कहीं मर न जाऊं कल और आज के बीच🍁
इक इश्तहार छपा है अखबार में,
खुली सांसे भी बिकने लगी बाज़ार में,
रूह भी निचोड़ ली उसकी,
काट दी ज़बान बेगुनाह की,
मसला कुछ ज़रूरी नहीं,
बस थोड़ी बहस चलती है सरकार में...