choom kar kafan mein lipaten mere chehare ko.. usane tadap ke kaha,
naye kapade kya pahan lie… hamen dekhate bhi nahin..
चूम कर कफ़न में लिपटें मेरे चेहरे को.. उसने तड़प के कहा,
नए कपड़े क्या पहन लिए… हमें देखते भी नहीं..
choom kar kafan mein lipaten mere chehare ko.. usane tadap ke kaha,
naye kapade kya pahan lie… hamen dekhate bhi nahin..
चूम कर कफ़न में लिपटें मेरे चेहरे को.. उसने तड़प के कहा,
नए कपड़े क्या पहन लिए… हमें देखते भी नहीं..
The moon is everything to the stars. I want to be that moon to you.
ये साफ सफाई की बात नहीं, कोरोना ने लिखी खत।
इधर उधर थुकना मत।
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गंगा की गोद में चलती है नाव, मृत शरीर भी।
समय का गोद में खिलती है सभ्यता और जंगली जानवर का अँधा बिस्वास भी।
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बचपन मासूम कली।
फल बनना और बड़ा होना- काला दाग में अशुद्ध कलि।
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कीचड़ में भी कमल खिलता है।
अच्छे घर में भी बिगड़ा हुआ बच्चा पैदा होते है।
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इंसान का अकाल नहीं, इंसानियत की अकाल है।
डॉक्टर (सेवा) के अकाल नहीं, वैक्सीन (व्यवस्था) का अकाल है।
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कुत्ते समझते है के कौन इंसान और कौन जानवर है।
बो इंसान को देख के पूंछ हिलाते है और जानवर को देख के भूँकते है।
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जीविका से प्यारा है जिंदगी।
अगर साँस बंद है तो कैसे समझेंगे रोटी की कमी।